जनरल जोरावर सिंह का उत्तरी भारत की सीमा को सुरक्षित बनाने में रहा ऐतिहासिक योगदान-आचार्य देव दत्

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मंडी, 12 दिसम्बर । सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के अमृत महोत्सव सभागार में इतिहास विभाग, हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला तथा ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी के संयुक्त तत्वावधान में जनरल जोरावर सिंह की 181 पुण्यतिथि पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के कुलपति आचार्य देव दत्त शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक, ठाकुर रामसिंह इतिहास संस्थान नेरी डॉ0 चेतराम गर्ग ने की। इस अवसर पर प्रति कुलपति एवं अधिष्ठाता अकादमिक मामले आचार्य अनुपमा सिंह व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गंगाराम राजी बतौर वशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर जनरल जोरावर सिंह के चित्र के सम्मुख माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आचार्य देव दत्त शर्मा ने कहा कि उत्तरी भारत की सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए जनरल जोरावर सिंह के ऐतिहासिक योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके प्रयासों से ही लद्दाख व बाल्टिस्तान तात्कालिक जम्मू रियासत के अंग बने जो आज भारत का अभिन्न अंग है।
डॉ. चेत राम गर्ग ने जनरल जोरावर सिंह के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा उनकी सैन्य रणनीति की विस्तार से चर्चा करते हुए बताया सुदूर हिमालय में दुर्गम क्षेत्रों को उस कालखंड में विजय करना असंभव सा प्रतीत होता है, परंतु जनरल जोरावर सिंह ने अपने अदम्य साहस,वीरता व पराक्रम से सुदूर हिमालय को विजयी किया। सामरिक दृष्टि से उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्य के परिणाम स्वरूप ही आज सुदूर हिमालय पर भारतीय सेना दुश्मनों से लोहा ले रहे हैं । उन्होंने बताया कि आज की भावी पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
संगोष्ठी संयोजक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने संगोष्ठी का उद्देश्य रखते हुए बताया कि भारतीय इतिहास में जनरल जोरावर सिंह को एक दूरदर्शी सेनानायक, महान योद्धा व कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य उनके जीवन को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है, जिसमें जनरल जोरावर सिंह के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम में वशिष्ठ अतिथि डॉ. गंगाराम राज जी ने जनरल जोरावर सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने उपन्यास पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जनरल जोरावर सिंह के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व पर उपन्यास जल्दी ही प्रकाशित होगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में आचार्य राजेश शर्मा अधिष्ठाता अकादमिक मामले महाविद्यालय विकास परिषद ने मंच का परिचय करवाया व धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । आचार्य अनुपमा सिंह ने अपने स्वागत भाषण में मंच व सभागार में उपस्थित सभी महानुभावों का स्वागत किया।
इस अवसर पर ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी से प्रकाशित अनुसंधान पत्रिका इतिहास दिवाकर के विशेषांक का विमोचन भी किया।
मंच का संचालन स्नातकोत्तर तृतीय वर्ष के छात्र अजय कुमार अंजना ने किया।इतिहास विभाग के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर डॉ. नीलम ठाकुर, डॉ0 गौरव कपूर, डॉ. बलबीर सिंह, कन्हैया लाल सैनी, दीपक कुमार, राजेश शर्मा, विकेश कुमार, सिवान, भारतीय सांस्कृतिक धरोहर मंडी चैप्टर के समन्वयक नरेश मल्होत्रा, सह समन्वयक अनिल शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार मुरारी शर्मा, पारुल शर्मा, दीक्षा शर्मा, रुपेशवरी देवी, शमशेर सिंह, इतिहास सोसाइटी के पदाधिकारी व इतिहास विभाग के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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