गुटबाजी, पैरवी और वर्चस्व की जंग… हिमाचल कांग्रेस में दो फाड़, कैबिनेट गठन अटका

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गुटबाजी, पैरवी और वर्चस्व की जंग… हिमाचल कांग्रेस में दो फाड़, कैबिनेट गठन अटका।कांग्रेस की हिमाचल इकाई में गुटबाजी, सुखविंदर सिंह सुक्खू के मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का सबब बन चुकी है. ऐसे में सुक्खू को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता चुने जाने के 12 दिन बाद भी पार्टी, मंत्रिमंडल का फैसला नहीं कर पा रही है.

एक तरफ जहां प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाला खेमा, सुक्खू खेमे से शीर्ष कैबिनेट का दर्जा गंवाने के बाद अपना पद छोड़ने को तैयार नहीं है. तो दूसरी तरफ पार्टी ने भले ही सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल का सीएम चुना हो, लेकिन उन्हें कैबिनेट बनाने की खुली छूट नहीं दी है.

ऐसे में यही नजर आता है कि हिमाचल कांग्रेस दो भागों में बंटी हुई है. यही कारण है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाले पार्टी गुट और पार्टी के आलाकमान सुक्खू के मंत्रिमंडल के लिए चेहरों को चुनने में विफल हो रहे हैं.

पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना है कि सुक्खू ने अपनी एक लिस्ट आलाकमान को सौंपी थी, लेकिन प्रतिद्वंद्वी खेमे ने अपने खेमे के विधायकों के लिए कैबिनेट रैंक की मांग कर दी. इस बीच, विधायकों द्वारा कैबिनेट की कुर्सी हड़पने के लिए जोरदार पैरवी की जा रही है.

उनमें से कई देश की राजधानी में डेरा डाले हुए हैं. पार्टी के गुट अपने-अपने खेमे के विधायकों के लिए कैबिनेट बर्थ पाने के लिए तलवार खींचे हुए हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने विधायकों की एक लिस्ट तैयार की है जिसे मंजूरी के लिए पार्टी आलाकमान के पास भेजा जाएगा.

शिमला में कैबिनेट रैंक के अधिक चाहने वाले

ऊना, हमीरपुर, सोलन और शिमला जिलों में पार्टी का प्रदर्शन असाधारण रूप से अच्छा रहा है, सोलन को छोड़कर, भाजपा प्रत्येक जिले में केवल एक सीट जीत सकी. इन चारों जिलों में पार्टी का प्रदर्शन समानांतर रहा है, लेकिन शिमला में कैबिनेट मंत्री बनने के दावेदार ज्यादा थे. प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाला गुट अपने शिमला के विधायकों के लिए अधिक कैबिनेट सीट की मांग कर रहा है.

जिला शिमला से केवल दो से तीन विधायक ही कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन सुक्खू और प्रतिभा के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट पांच विधायकों के लिए कैबिनेट सीट की मांग कर रहे थे. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला जिले के विधायक रोहित ठाकुर और उनके खेमे के अनिरुद्ध सिंह के लिए भी कैबिनेट मंत्री बनने की मांग की है.

तो वहीं प्रतिभा सिंह मोहनलाल ब्राक्टा, कुलदीप सिंह राठौर के अलावा विक्रमादित्य सिंह सहित शिमला के तीन विधायकों की पैरवी कर रही थीं. सीएम सुक्खू ने भी विक्रमादित्य सिंह के नाम का समर्थन किया है, लेकिन कई नेता उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ हैं क्योंकि वह और उनकी मां घरेलू हिंसा के मामले का सामना कर रहे हैं.

पार्टी आलाकमान असमंजस में है कि वह न तो मुख्यमंत्री पद का त्याग करने वाली प्रतिभा सिंह को दरकिनार कर सकता है और ना ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को नजरअंदाज कर सकता है.

विकास परियोजनाएं ठप पड़ी हैं

पिछले दो महीनों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण पहले से ही प्रभावित कैबिनेट विस्तार में देरी के कारण विकास परियोजनाएं ठप पड़ी हैं. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की घोषणा 10 दिसंबर को की गई थी. अगले दिन दोनों को शपथ भी दिलाई गई. उम्मीद थी कि तीन-चार दिनों के भीतर नई कैबिनेट का गठन हो जाएगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी के कारण इसमें देरी हुई है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू को उम्मीद थी कि पार्टी आलाकमान जल्द ही सूची को मंजूरी दे देगा. विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को शिमला में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री बनने की इच्छा भी जताई है.

वहीं इस परंपरा को न तोड़ पाने वाली प्रतिद्वंद्वी बीजेपी ने कैबिनेट गठन में देरी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. दूसरी तरफ ठाकुर सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिए गए फैसलों की समीक्षा करने के सुक्खू के फैसले से बीजेपी को परेशानी का सामना करना पड़ा है.


Source : “आज तक”

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