कांगड़ा जिले में खेती-बाड़ी के बढ़ावे को खर्चे जा रहे 4.90 करोड़

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धर्मशाला, 19 जनवरी। कांगड़ा जिले में खेती-बाड़ी और इससे जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए करीब 4.90 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। इनमें कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आतमा) के जरिए वर्तमान वित्त वर्ष में 2.57 करोड़ रुपये और प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में 2.29 करोड़ रुपये खर्चे जा रहे हैं। यह जानकारी अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) कांगड़ा सौरभ जस्सल ने गुरुवार को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आतमा) की गवर्निंग बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
एडीसी ने बताया कि 4.90 करोड़ रुपये में से आतमा परियोजना के तहत चालू वित्त वर्ष में जिले में किसानी, बागवानी और पशुपालन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अब तक 1.56 करोड़ रुपये और प्राकृतिक खेती गतिविधियों को बढ़ाने के प्रयासों पर 85 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
सौरभ जस्सल ने कृषि और संबंधित विभागों के अधिकारियों को बेहतर तालमेल के साथ आतमा परियोजना और सरकार द्वारा कृषकों के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने को कहा।
कांगड़ा जिले के 35850 किसान कर रहे प्राकृतिक खेती
एडीसी ने बैठक के उपरांत बताया कि वर्तमान वित्त वर्ष में कांगड़ा जिले में 4670 किसानों को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया गया है। साल 2018 से अब तक लगभग 35850 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का प्राकृतिक खेती में रूझान बढ़ा है और वर्तमान वित्त वर्ष में लगभग 3600 हेक्टेयर क्षेत्र में किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
814 पंचायतों में लगाए प्रशिक्षण शिविर, हजारों किसानों को प्रदान किया अनुदान
सौरभ जस्सल ने बताया कि वर्तमान वित्त वर्ष में दो दिवसीय 177 प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से 4670 किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत सभी 814 पंचायतों में यह प्रशिक्षण दे दिया गया है। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 151 देसी गाय पर 25 हजार रुपये प्रति गाय अनुदान प्रदान किया गया है। गौशाला के फर्श को पक्का करने के लिए 883 किसानों को लाभान्वित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत घटक बनाने के लिए 14563 प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत अनुदान के हिसाब से 12563 किसानों को लाभान्वित किया गया है। संसाधन भंडार बनाने के लिए 15000 अनुदान प्रति किसान के हिसाब से 219 किसानों को लाभ पहंुचा है तथा युवा जागरूकता शिविर में 17 युवाओं को इस योजना से अन्तर्गत 6 महीने का प्रशिक्षण दिया गया  है। स्कूल स्तर पर प्राकृतिक खेती के बारे में 850 बच्चों को जागरूक किया है।
एडीसी ने बताया कि कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आतमा) द्वारा खण्ड स्तर पर कृषि सखी, पशु सखी व कृषि उद्योग सखियों को भी सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया जो प्राकृतिक कृषि को पंचायत स्तर तक पहुंचाने सहयोग कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती के बढ़ावे को नई पहलें
परियोजना निदेशक आतमा डॉ. शशि पाल अत्री ने बैठक का संचालन करते हुए विभाग की विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने बताया कि जिले में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत नई पहल करते हुए गांवों को प्राकृतिक खेती वाले गांव में बदलने, प्रति पंचायत प्रदर्शन प्लाट फार्म, प्राकृतिक कृषि उत्पादों के विपणन के लिए कैनोपी और सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का स्व-मूल्यांकन प्रमाण पत्र देने जैसे प्रयास किए गए हैं।
इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी सुशील कुमार, डॉ. संदीप मिश्रा, डॉ पांडे, डॉ पटियाल, डॉ धीमान, धर्मशाला और फतेहपुर ब्लॉक स्तर से डॉ सागर गुलेरिया, डॉ चंदन, बीटीएम शिखा, अनीश, रोहित संग्राय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा प्रगतिशील किसान भी मौजूद थे।

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