हिमाचल को कर्ज से उबारने के लिए बजट में कोई राहत नहीं, CM सुक्खू ने सूबे की अनदेखी का लगाया आरोप।मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को संसद में प्रस्तुत वार्षिक बजट 2023-24 को निराशाजनक एवं आम जनता की आशाओं के विपरीत करार दिया है। उन्होंने शिमला में कहा कि यह बजट मात्र आंकड़ों का मायाजाल है। बजट में हिमाचल प्रदेश की अनदेखी की गई और यहां के विकास के लिए कुछ भी नहीं है। प्रदेश में रेल और राष्ट्रीय राज मार्गों के विस्तार के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बजट हिमाचल के लिए निराशाजनक रहा है। कर्ज के बोझ से जूझ रहे राज्यों के लिए बजट में कोई भी विशेष छूट नहीं है। हिमाचल ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्य भी कर्ज के बोझ से जूझ रहे हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार को पूर्व सरकार से 75 हजार करोड़ का कर्ज विरासत में मिला है। इसके अलावा, कर्मचारियों और पेंशनरों की 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी भी बकाया है। आम बजट में कर्ज से उबारने का कोई उल्लेख नहीं है।
उन्होंने कहा कि बजट में छोटे पहाड़ी राज्यों के लिए जून, 2022 से समाप्त जीएसटी प्रतिपूर्ति को फिर से शुरू करने के लिए भी कुछ नहीं कहा गया है, जिसकी प्रदेश के लोगों को काफी उम्मीदें थी और न ही बजट में किसी अन्य माध्यम से वित्त पोषण की बात कही गई है।
उन्होंने कहा कि इस बजट में आयकर दरों में किया गया बदलाव पर्याप्त नहीं है तथा आम जनता को इससे और ज्यादा छूट की उम्मीद थी। यह बजट केवल समृद्ध लोगों के पक्ष में है और महंगाई से परेशान मध्यम वर्ग को इससे बहुत निराशा हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बजट में समाज के सभी वर्गों विशेषकर मध्यम वर्ग, गरीब, युवा और किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। बजट में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है और यह पूर्णतया निराशाजनक है।
सुक्खू ने कहा कि देश और प्रदेश की जनता को आज भी केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनावों से पूर्व ‘अच्छे दिनों’ के वायदे के पूर्ण होने का इंतजार है। उन्होंने कहा कि बजट में रोजगार सृजन की दिशा में कोई भी प्रावधान नहीं है और शहरी रोजगार का कहीं भी जिक्र नहीं है। किसानों के लिए ऋण सीमा में वृद्धि के अलावा कुछ नहीं है। इससे केवल किसानों पर ऋण की देनदारी का बोझ बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि बजट में किसानों के लिए खेती के उपकरणों और खाद में उपदान की कोई घोषणा नहीं है। इसके अलावा, मनरेगा में भी कोई अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे साबित होता है कि इस बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार को पूर्णतया नजरअंदाज किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हैरान है कि पूर्व भाजपा सरकार द्वारा नवम्बर माह में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर जो प्रस्ताव तैयार किया गया था, इसपर डबल इंजन सरकार द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लोगों के कल्याण के प्रति केन्द्र सरकार के भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह बजट मात्र पानी के बुलबुले के समान क्षण-भंगुर है।
By Newz Fatafat
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