Shimla: पांच वर्ष की अनिवार्यता समाप्त, अब छह माह के अवकाश में होगी पीएचडी, शिक्षकों के लिए सीटें आरक्षित ।हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला से पीएचडी करने के लिए यूजीसी के नए संशोधित नियमों को लागू कर दिया है। विश्वविद्यालय में शनिवार को हुई अकादमिक काउंसिल की बैठक में यूजीसी की ओर से पीएचडी को लेकर जारी नियमों को लागू कर दिया है।
इसके तहत पांच साल पूरा समय विश्वविद्यालय में बिताने की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी।
महज छह महीने ही विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स के लिए अनिवार्य तौर पर रहना होगा। इसके अलावा शिक्षक या कर्मचारी पीएचडी करने के लिए पहले तीन से पांच साल तक अवकाश लेते थे। अब यह अवकाश पांच साल के लिए लेना अनिवार्य नहीं होगा। इसके अलावा नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय व कालेजों से लेकर स्कूलों में सेवारत शिक्षकों के लिए पीएचडी में सीटें आरक्षित की हैं।
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नहीं लेनी पड़ेगी पांच साल की छुट्टी
शिक्षक को पीएचडी करने के लिए पांच साल की छुट्टी नहीं लेनी पड़ेगी। पहले शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई प्रभावित होनी थी, इसलिए यूजीसी ने पार्ट टाइम पीएचडी के लिए नया कांसेप्ट दिया है। इसके तहत छह माह ही सभी को पीएचडी के लिए अनिवार्य शोध कार्य के लिए अवकाश की आवश्यकता होगी। सरकारी क्षेत्र में तो नौकरी से छुट्टी मिल जाती थी, लेकिन निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अवकाश तक नहीं मिलता था।
बैठक में एमफिल व पीएचडी का शोधकार्य जमा करवाने के लिए छह महीने की एक्सटेंशन दी है। विवि में ऐसे शिक्षक, जिनती सेवानिवृत्ति नजदीक है, उन्हें परीक्षा की ड्यूटी से छूट दी है। विवि प्रशासन की ओर से शीघ्र ही मंगलवार को होने वाली कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में इन प्रस्तावों को लाकर स्वीकृति दी जाएगी।
By जागरण
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