उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने आज नई दिल्ली में जीएसटी परिषद की 49वीं बैठक में भाग लिया। उन्होंने बैठक में राज्य हित से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कि सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी दर को वर्तमान 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाए। उन्होंने कहा कि सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी का बोझ सेब उत्पादकों को वहन करना पड़ रहा है और इन पर जीएसटी कम करने से उनकी इनपुट लागत में काफी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि सेब उत्पादन का राज्य की आर्थिकी में अहम योगदान है और उनके हितों संरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उन्होंने वाहन खरीद पर जीएसटी के नुकसान का मुद्दा भी उठाया और बताया कि जब राज्य के निवासी आसपास के राज्यों में वाहन खरीदते हैं, तो इससे राज्य को जीएसटी का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी खरीद पर जीएसटी राज्य को मिलना चाहिए क्योंकि राज्य से बाहर खरीद के उपरांत राज्य के लोगों द्वारा इन वाहनों को हिमाचल में ही पंजीकृत करवाया जाता है। उन्होंने परिषद को अवगत करवाया कि ऐसी खरीद से संबंधित कर, जीएसटी के मूल सिद्धांत के अनुसार उपभोग करने वाले राज्य में प्रवाहित होना चाहिए।
जीएसटी परिषद ने उद्योग मंत्री की सक्रिय भागीदारी और तथ्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किए गए राज्य के पक्ष से कई विवादास्पद मुद्दों पर सकारात्मक निर्णय लिया। जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना से संबंधित मामले पर भी परिषद द्वारा विचार-विमर्श किया गया। जीएसटी न्यायाधिकरणों की स्थापना न होने से करदाताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें जीएसटी न्यायाधिकरण की अनुपस्थिति में अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय के विरुद्ध न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है। बैठक में उद्योग मंत्री द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा से निकट भविष्य में शिमला में जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त यूनुस और अतिरिक्त आयुक्त (जीएसटी) राकेश शर्मा ने भी भाग लिया।
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