बागवानी विभाग के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि विश्व बैंक वित्तपोषित बागवानी विकास परियोजना के अन्तर्गत पिछले वर्षों में सेब, आडू, खुमानी, पलम, नाशपाती व चेरी के पौधे आयातित किये गए हैं। अमेरिका से लगभग 25.50 करोड़ रुपये की धनराशि से विभिन्न किस्मों के 15.12 लाख फल-पौधे आयात किये गये हैं। इन आयातित फल-पौधों की जीविका दर 95 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने बताया कि बागवानी विकास के लिए विश्व बैंक वित्तपोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना को प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 से प्रदेश में कार्यान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत 1066 करोड़ रुपये है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य बागवानी उत्पादों तथा फल फसलों की उत्पादकता, गुणवत्ता एवं विपणन के लिए आधारभूत संरचना को बढ़ावा देना तथा लघु किसानों व कृषि उद्यमियों को सहायता प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में फलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इस परियोजना को प्रदेश में कार्यान्वित किया गया है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्नत किस्मों के क्लोनल मूलवृन्तों पर आधारित पौध सामग्री को विदेशों से उच्च गुणवत्ता वाली पौधशालाओं से आयात कर इन्हें विभागीय फल पौधशालाओं में एक वर्ष के आवश्यक संगरोध के उपरान्त बागवानों को प्रदान किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश पौधशाला प्रबन्धन समिति द्वारा इन आयातित फल पौध सामग्री को विभागीय फल पौधशालाओं में आधुनिक तरीके से रखरखाव व गुणन कर विक्रय के लिए तैयार किया गया है।
परियोजना की मुख्य उपलब्धियों में प्रदेश के किसानों की सहभागिता से 261 सिंचाई उपभोक्ता संघों का गठन, सिंचाई सुविधा व 30 किसान उत्पादक संघों की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि सफल फल प्रबंधन व विपणन सुविधा के लिए परियोजना में एचपीएमसी द्वारा 15 स्थानों पर ग्रेडिंग, पैकिंग, स्टोर, वातानुकूलित शीत गृह व फल प्रसंस्करण इकाइयों और एचपीएसएएमबी की 9 मंडियों का निर्माण व उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना में लक्षित ई-उद्यान एप व पोर्टल के आरम्भ होने से अब किसान-बागवान अपने घर-द्वार से ही उद्यान विभाग की सभी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। प्रदेश के युवा किसानों ने परियोजना द्वारा प्रोत्साहित की जा रही उच्च घनत्व पौधरोपण के प्रति उत्साह दिखाया है।
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