हमीरपुर 03 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों के क्रम में महिलाओं की विधिक साक्षरता के लिए सुजानपुर और पटलांदर में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर सुजानपुर के बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने कहा कि नागरिक अधिकारों की जानकारी सभी के लिए आवश्यक है। यदि देश का प्रत्येक नागरिक विधिक यानि कानूनी विषयों पर साक्षर होगा तभी सभी व्यक्तियों के नागरिक अधिकारों की रक्षा हो सकती है। विधिक जागरुकता एवं विधिक सहायता के माध्यम से त्वरित न्याय के उपाय सुनिश्चित करते हुए ही हम ‘सबके लिए न्याय’ की अवधारणा को पूरा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए कानूनी साक्षरता और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल उनके अपने विकास अपितु उनके पूरे परिवार के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। महिलाएं प्राय: अपने अधिकारों के ज्ञान के अभाव में आवाज नहीं उठा पाती हैं जिसके चलते वे कई तरह की प्रताडऩाओं का सामना करती हैं। उन्होंने कहा कि जब तक कोई महिला या व्यक्ति पूरे मन से शोषण और अन्याय का प्रतिकार नहीं करता, तब तक बुराई या अन्याय का अंत नहीं हो सकता चाहे कितने भी कानून बन जाएं। कानून तभी पीडि़त की मदद कर सकता है जब उसे अपने अधिकारों का ज्ञान हो और वह दृढ़ निश्चय होकर दमन और शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाए।
इसी उद्देश्य से इन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर अधिवक्ता हिमांशु शर्मा ने महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों, उत्तराधिकार कानून, विवाह एवं तलाक, भरण-पोषण, दहेज प्रतिषेध, बाल विवाह निषेध, कार्यस्थलों पर लैंगिक उत्पीडऩ निवारण तथा पोक्सो इत्यादि कानूनों के प्रावधानों पर विस्तार से जानकारी दी। वहीं महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अंतर्गत संरक्षण अधिकारियों विकास शर्मा एवं मंजुला ने घरेलू हिंसा से निदान हेतु विभिन्न उपायों की जानकारी दी।
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