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बिलासपुर 20 जुलाई- मत्स्य पालन मन्त्री विरेन्द्र कंवर ने परिधी गृह में जानकारी देते हुए बताया कि मतस्य पालन को बढावा देने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। उन्होने कहा कि वर्ष 2013-14 में गोविन्द सागर में अधिकतम मतस्य उत्पादन 1492 मी0 टन हुआ था इसके बाद से लगातार वितीय वर्ष 2019-20 तक इसके उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है तथा वर्ष 2019-20 में न्यूनतम 237 मी0 टन उत्पादन दर्ज किया गया है।
उन्होने कहा कि वर्ष 2020-21 से इस उत्पादन में लगातार बढोतरी दर्ज की जा रही है। हालांकि मत्स्य उत्पादन में गिरावट होने के कई कारण है जिसमंे मुख्यतः कोलडैम बांध निर्माण की वजह से समय-समय पर डैम से पानी छोडने के कारण पानी का बहाव तेज होता है जिससे मछुआरांे द्वारा लगाए गए जाल अस्त व्यस्त हो जाते है। जिससे मछुआरों को मछली पकडने में बाधा उत्पन होती है और मछली व्यवसाय पर भी इसका असर पडता है। दुसरा जलाशय में सील्ट और कम वर्षा के कारण मछली प्रजनन व आहार क्षेत्र नष्ट हो रहे है। गोविन्द सागर जलाश्य के जल क्षेत्र मे कम वर्षा होने के कारण कमी आ रही है जिससे की फिशिंग प्रयास कम हो गए है व इसका विपरित असर मतस्य उत्पादन पर हो रहा है।
उपरोक्त मुशकिलों के समाधान बारे विभाग सिफरी बैरकपुर, कलकत्ता से विज्ञानिक अध्ययन करवाया जा रहा है जिसकी फाइनल रिपोर्ट विभाग को शीघ्र प्राप्त होने वाली है। उनसे प्राप्त शिफारिसों के अनुरूप विभाग अग्रीम कार्यवाही अमल में लाएगा। विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 के उपरांत से प्रतिवर्ष निरन्तर बढे आकार का उतम गुणवत्ता वाला मत्स्य बीज जलाशयों में संग्रहित करवाया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में 17.84 लाख न0 व वर्ष 2020-21 में 22.67 लाख न0 व वर्ष 2021 -22 में 20.07 लाख न0 मत्स्य बीज प्रदेश के जलाशयों में संग्रहित किया गया है।
पिछले गत वर्षो की तुलना मंे इस वर्ष प्रदेश में लगभग 50 लाख न0 मत्स्य बीज संग्रहित किया जाएगा। जिससें मत्स्य उत्पादन में बढोतरी होने की पूर्ण आशा है।
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