हिमाचल के डॉक्टर चले सुखु जी के द्वार

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फाइल फोटोग्राफ

हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की बैठक डॉक्टर राजेश राणा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में संघ के प्रदेश कर्काकारिणी समिति एवं प्रदेश कर सभी जिला के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और चिकित्सकों के प्रति की जा रही प्रताड़ना पर मंथन किया। प्रदेश भर में चिकित्सक दिन-रात अपनी सेवाएं जनता को समर्पित कर रहे हैं और चिकित्सकों के प्रति की जा रही प्रताड़ना की सूची दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय के आश्वासन दिया था की न पी ए को भविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय पुनः लागू कर दिया जाएगा । लेकिन हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से इसे हटा दिया गया है। 3 अगस्त 2023 को जारी की गई अधिसूचना नo 44059-22461/2023 के तहत विशेषज्ञों का वेतन 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना नo 41799-20892/2022 के तहत 40392 से घटाकर 33660 कर दिया है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय के वचनों का अफसरशाही द्वारा आदर नहीं करना चिंताजनक है। प्रदेश में पहले ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है और इतने कम वेतन पर कार्य करने के बजाए विशेषज्ञों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की जनता को विशेषज्ञ सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। हाल ही में बिलासपुर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीनस्थ नियुक्त जिला कार्यक्रम अधिकारी के पद पर एमडीएस जोकि डेंटल हेल्थ सर्विसेज से हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट में नियुक्त करना तर्क संगत नहीं है। संघ का अनुरोध है कि भविष्य में इन पदों पर एमबीबीएस कैडर से ही चिकित्सा अधिकारियों को लगाया जाए। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की माननीय मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता 3 जून 2023 को हुई थी उसके बाद 2 महीने बीत जाने के बाद भी धरातल पर किसी भी मांग को कार्यवंतित नहीं किया गया है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने चिकित्सकों की मांगों गहनता से सुना था और उस समय कहा था की उनका वचन एक कानून है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने प्रदेश की ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः वापस करने की बात कही थी। इसके बावजूद अफसरशाही ने यह कार्यभार एच ए एस अधिकारी को सौंप दिया है। एड्स रोकथाम एक संवेदनशील विषय है जिस का संपूर्ण ज्ञान चिकित्सकों को ही होता है। इस तरह से किसी अन्य विभाग के अधिकारी को कार्यभार सौंपना और स्वास्थ्य निदेशक या संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक को नजरअंदाज करना यह जनहित में सही नहीं है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में स्थाई स्वास्थ्य निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। साथ ही विभाग में उपनिदेशक संयुक्त निदेशक एवं खंड चिकित्सा अधिकारियों की प्रमोशन अब तक नहीं हो पाई है। संघ ने हमेशा ही चिकित्सकों के पदोन्नति के पदों पर सेवा विस्तार का विरोध किया है । चिकित्सक वर्षों तक अपनी पदोन्नति का इंतजार करते हैं ऐसे में उनका हक किसी व्यक्ति विशेष को दिया जाना न्याय संगत नहीं है। सेवा विस्तार के कारण चिकित्सकों के पद रिक्त नहीं हो पा रहे हैं और युवा चिकित्सकों को सेवाएं प्रदान करने से वंचित रखा जा रहा है। युवा चिकित्सक ही रात्रि सेवाएं देते हैं और दिन रात प्रदेश की जनता के लिए समर्पित है। इसलिए सेवा विस्तार प्रदेश के प्रशिक्षु चिकित्सकों के हित में नहीं है। इससे ना केवल प्रशिक्षु चिकित्सकों बल्कि उनके परिवारजनों के मनोबल को भयंकर ठेस पहुंच रही है। हिमाचल प्रदेश मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के तहत 15 लाख के शेर के विभाजन में मात्र ₹100 का शेयर स्वास्थ्य निदेशक को और ₹100 का शेयर एमडी एनएचएम को दिया गया वहीं दूसरी ओर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी प्राइवेट सेक्रेटरी सेक्रेटरी हेल्प टू द गवर्नमेंट ऑफ़ हिमाचल प्रदेश को 14,99700 के शेयर दिए गए। इस विभाजन से भी संघ आश्चर्यचकित है। वर्षों से विभाग चिकित्सकों की सीनियारिटी लिस्ट बनाने में नाकामयाब रहा है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चिकित्सकों की सेनियारिटी उनके डेट ऑफ जॉइनिंग से बनाई जाए।

चिकित्सा अधिकारियों की 25 से 30 वर्ष बीत जाने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदोन्नति होती है लेकिन माननीय मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता के उपरांत भी कोई चिकित्सा अधिकारी खंड चिकित्सा अधिकारी नहीं बन पाया है। इस संदर्भ में चिकित्सकों को 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत दिया जाता था उसे भी छीन लिया गया है, इससे चिकित्सकों के मनोबल पर भारी ठेस पहुंची है। इसलिए इसे पुनः चालू किया जाए।
संघ की 2 अगस्त को स्वास्थ्य सचिव से चिकित्सा अधिकारियों के कैडर विभाजन के संदर्भ में बैठक हुई। इस संदर्भ में भी संघ का मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है की स्नातकोत्तर भत्ता सभी विशेषज्ञों को पहले की तरह जारी रहे। इस विभाज में सेनियोरिटी लिस्ट माननीय उच्चतम एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशनुषर डेट ऑफ ज्वाइनिंग से बनाई जाए।
माननीय मुख्यमंत्री मोहोदय से संघ की वार्ता के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में जारी की अधिसूचना दिनांक 25-04-2023 की चिकित्सा महाविद्यालयों में प्राचार्यों, अपर/संयुक्त निदेशकों, चिकित्सा अधीक्षकों आदि को कार्य एवं उत्तरदायित्व सौंपे जाने की अधिसूचना में कोई संशोधन नहीं किया है।
प्रदेश भर में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से प्रतिवर्ष सैकड़ों चिकित्सक उत्तीर्ण हो रहे हैं लेकिन उन्हें रोज़गार न दे पाना उनके भविष्य के साथ भयंकर खिलवाड़ करना है। वर्ष भर से विभाग एक भी चिकित्सक को रोजगार प्रदान करने में असमर्थ रहा है। इसका दुष्परिणाम प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश भर के सैकड़ों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक ना होने के कारण प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा से वंचित रहना पड़ रहा है। पहले चिकित्सकों की कमी के कारण हिमाचल के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहना पड़ता था लेकिन वहीं दूसरी ओर प्रयाप्त चिकित्सक होने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिलने के कारण उनकी सेवाओं से प्रदेश की जनता को वंचित रहना मजबूरी बन गया है। इस संदर्भ में संघ पुनः माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय स्वास्थ्य मंत्री से शीघ्र वार्ता करेगा।

यह जानकारी डॉक्टर विकास ठाकुर
जो की महासचिव हैं हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ के उन्होंने संझा की।

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