किसी भी सरकारी उपक्रम की कार्यप्रणाली व उत्पादकता में सुधार लाने के लिए बेहतरीन वित्तीय प्रबधन अत्यन्त आवश्यक है। यह बात सचिव डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस डॉ. अभिषेक जैन ने आज यहां प्रदेश सरकार के विभिन्न निगमों और बोर्डों के वित्तीय प्रबंधन में और सुधार लाने के उपायों के दृष्टिगत आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।
डॉ. अभिषेक जैन ने कहा कि आदर्श वित्तीय प्रबंधन के लिए वित्तीय नियंत्रण, बजट निर्माण, लेन-देन प्रबंधन और वित्तीय निरीक्षण जैसे कार्य दक्षता से पूर्ण किए जाने चाहिए। वित्तीय प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य किसी भी उपक्रम का वित्तीय स्वास्थ्य सुनिश्चित करना और उसके लिए आवश्यक निर्णय लेना होता है।
उन्होंने सरकारी उपक्रमों के सामाजिक दायित्व के निर्वहन पर चर्चा करते हुए कहा कि गैर निष्पादित धन (आईडियल मनी) के सदुपयोग की सम्भावनाओं का पता लगाकर ही उचित कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रमों को अपने संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए प्रभावी कार्य प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
उन्होंने कॉरपोरेट कानूनों के अनुपालन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पेशेवरों को त्रैमासिक अनुपालन कैलेण्डर अनिवार्य रूप से तैयार करना चाहिए। उन्होंने बोर्ड की बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने के साथ-साथ मानव संसाधन उत्पादकता के महत्व पर भी बल दिया।
उन्होंने उद्यम संसाधन योजना के कार्यान्वयन व सजगता को प्रोत्साहित करने के उपायों पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को डिजिटाइजेशन और ई-ऑफिस का उपयोग करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए।
डॉ. अभिषेक जैन ने वित्तीय प्रबंधन जागरूकता लाने, बेहतर वित्तीय योजना बनाने, सीमित संसाधनों से उत्पादकता बढ़ाने और निवेश प्रबंधन पर बल दिया।
वित्तीय प्रबंधन विशेषज्ञ अनुज बंसल ने वित्तीय प्रबंधन उपायों की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि संस्थानों को अपनी कार्य प्रणाली में नवीन प्रौद्योगिकी का समावेश भी सुनिश्चित करना चाहिए।
इस अवसर पर प्रबंध निदेशक हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रिोनिक विकास निगम मुकेश रेपस्वाल, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क राजीव कुमार, महाप्रबंधक हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम नरेश शर्मा, विभिन्न निगमों और बोर्डों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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