शिटाके मशरूम प्रबंधन के दिए टिप्स

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धर्मशाला, 12 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना चरण-दो जाईका के अंतर्गत स्थापित शिटाके मशरूम प्रशिक्षण केन्द्र पालमपुर में दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें पालमपुर कल्सटर के 30 किसानों ने भाग लिया। यह प्रशिक्षण उन्हीं किसानों को दिया गया जिन्होंने पहले शिटाके मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण लिया हुआ था। इस प्रशिक्षण शिविर में शिटाके डिसेमिनेटर डा सपन ठाकुर व डा नागेन्द्र नाग ने किसानों को तुड़ाई उपरांत शिटाके मशरूम के प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसानों को मशरूम कटाई, ग्रेडिंग, छंटाई व सुखाने के साथ -साथ इसके भंडारण पैंकिग व मार्केटिंग की भी जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि जल्दी खराब होने की दृष्टि से मशरूम की तुलना मछली से की जा सकती है। एक बार कटाई के बाद जब तक ठीक से देखभाल न की जाए तो वे जल्दी खराब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि स्वादिष्ट और औषधीय मशरूम उगाने का एक फायदा यह है कि ऐतिहासिक रूप से इनका उपयोग सदियों से सूखे रूप में किया जाता रहा है। एशिया में ताजा की तुलना में सुखाकर अधिक बेचा जाता है। एशियाई लोगों ने पाया है कि का स्वाद वास्तव में सूखने से बढ़ जाता है। इसके अलावा सुखने के बाद शिटाके में पोषक तत्व और औषधीय सांद्रता विशेषकर विटामिन डी में भी कई गुना वृद्वि होती है। प्रशिक्षण शिविर में बताया गया कि शिटाके मशरूम खाद्य और औषधीय गुणों से युक्त एक मशरूम है इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है। जिला परियोजना प्रबंधक कांगड़ा डॉ राजेश कुमार ने किसानों को शिटाके की व्यावसायिक खेती कर अपना जीवनयापन का स्तर में सुधार लाने का आहवान किया।

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