ऊना, 4 नवम्बर – किशोरावस्था सबसे अहम आयु वर्ग है। इस उम्र में जहां भविष्य का आधार बनता है वहीं नशीले पदार्थों की शुरुआत भी इसी उम्र से होती है। किशोर नशे की शुरुआत अक्सर देखादेखी में करते हैं। इसमें उनके दोस्तों और आस-पड़ोस के वातावरण की महत्वपूरण भूमिका रहती है। यह खुलासा नशामुक्त ऊना अभियान के तहत की गई स्पेशल स्टडी में किया गया।
डीआरडीए हाल ऊना में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान इस स्टडी के जरूरी पहलुओं को साझा किया गया। उपायुक्त राघव शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रेस वार्ता में स्टडी रिपोर्ट को सांझा करते हुए बताया कि स्कूलों में वरिष्ठ कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों में तकरीबन हर सातवें छात्र ने किसी न किसी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन किया है। इनमें से लगभग पचास फीसदी छात्रों को यह नशीला पदार्थ उनके दोस्तों द्वारा ऑफर किया गया। स्टडी में यह भी पाया गया कि जिन छात्रों के परिजन नशा करते हैं उनमे नशा करने का जोखिम दोगुना बढ़ जाता है। लगभग अठतीस फीसदी छात्रों ने बताया कि उनके घरों में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे उनमें नशा के इस्तेमाल के प्रति जोखिम बढ़ जाता है।
स्टडी में यह पाया गया कि किशोरों का भावनात्मक जुड़ाव परिजनों के अपेक्षाकृत दोस्तों के साथ अधिक रहता है। दिलचस्प पहलू यह है कि जूनियर कक्षाओं में यह जुड़ाव पिता की अपेक्षा माँ के साथ होता है जबकि आयु बढ़ने के साथ दोस्तों के प्रति झुकाव बढ़ता जाता है।
इस अवसर पर उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि नशे से बचाव के लिए शुरुआती हस्तक्षेप जरूरी है। इसके लिए अविभावकों की भूमिका सबसे महत्वपूरण है। उन्होंने कहा की इस दिशा में जिला प्रशासन ऊना ने आवश्यक कदम बढ़ाते हुए हर घर दस्तक अभियान शुरू किया है जिसमें हर घर में बच्चों को सुरक्षित रखने की जानकारी साझा की जा रही है। उपायुक्त ने कहा कि दोस्तों की अहम भूमिका को देखते हुए स्कूल कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है जहां छात्रों को विशेष रूप से सक्षम बनाया जा रहा है ताकि वह उचित निर्णय ले सकें और स्वस्थ विकल्पों का चयन कर सकें।
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