ऊना – आधुनिकता के दौर में लोगों ने मिट्टी के दियों को अंधेरे में धकेल दिया था, मिट्टी के दियों की पहचान बरकरार रखने के लिए स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दिन-रात एक करके अपनी पुरानी परम्परा को बनाए रखने के लिए गोबर के दिये और मोमबत्तियां बनाने में जुटी हैं।
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं का कहना है कि त्यौहारों में मिट्टी के दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है तथा पर्यावरण को भी नुक्सान नहीं पहुंचता। उनका कहना है कि जैसे-जैसे लोगों को मिट्टी के दियों की महत्ता के बारे में पता चला रहा है, लोग इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं और इनकी बाजार मंे मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है।
ग्राम पंचायत रामपुर की अनीता राणा ने बताया कि नौ स्वयं सहायता समूह संगठित करके एक समूह बनाया है जिसे महाकाल ग्राम संगठन का नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी नौ स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दीपावली त्यौहार के लिए मोमबत्ती और दिये बनाने में लगी हुई हैं। महिलाएं विभिन्न रंगों की सुंदर आकार की मोमबत्तियां तथा गाय के गोबर और मिट्टी के मिश्रण से सजावटी दिये बना रही हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा इनकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। लोगों की मांग को ध्यान में रखकर समूह की महिलाएं मोमबत्तियां व दिये निर्मित कर रही हैं।
महाकाल ग्राम संगठन की प्रधान अनीता राणा ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से गु्रप जुड़ा हुआ है। एनआरएलएम के माध्यम गु्रप को 2,500 रूपये स्टार्टअप फंड तथा 15,000 रूपये रिवॉल्विंग फंड के रूप में मिलते हैं। इसके अतिरिक्त गु्रप की महिलाएं अपनी सेविंग से 100-100 रूपये प्रतिमाह एकत्रित करके जमा करती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ी बल्कि जमा राशि में से ही एक प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ और महिलाओं को भी घर बैठे रोजगार का अवसर मिला। अनीता राणा ने बताया कि एसएचजी समूह की सभी महिलाएं दिये और मोमबत्तियां बनाने में प्रशिक्षित हैं और कड़ी मेहनत करके सुंदर और आकर्षक दिये बनाने में काफी मेहनत कर रही हैं ताकि लोग दिये और मोमबत्तियों के सुंदर और आकर्षक डिजाइनों से आकर्षित होकर इन्हें खरीदें। उन्होंने बताया कि निर्मित दिये और मोमबत्तियों की बिक्री के लिए प्रशासन द्वारा उन्हें उचित स्थल उपलब्ध करवाया जाता है।
उन्होंने बताया कि अभी दीवाली के लिए कुछ दिन शेष हैं कि लेकिन संबंधित क्षेत्रों के लोग घरों में आकर ही दिये व मोमबत्तियां ले जा रहे हैं तथा और अधिक मांग कर रहे हैं। घर से ही अभी तक 5 हज़ार रूपये की बिक्री कर चुकी हैं जिससे समूहों को काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व ही समूह द्वारा मैहतपुर में स्टॉल स्थापित किया गया था जिसका समूह को काफी लाभ हुआ। अब दीवाली उत्सव पर एमसी पार्क ऊना में भी स्टॉल लगया जाएगा जिसमें रंग-बिरंगी विभिन्न आकार की मोमबत्तियां और मिट्टी-गोबर से बने दीप बिक्री के लिए रखे जाएंगे। उन्होंने आम जनता से आग्रह किया है कि यदि हमें अपनी प्राचीन कला को विलुप्त होने से बचाना है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है दीपावली के पर्व को मिट्टी के दियों और मोमबत्तियों की रोशनी से रोशन करें। बाजारों में मंहगी लडियां अन्य सजावटी सामान खरीदने की बजाए स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्त निर्मित वस्तुओं को खरीदकर प्रोत्साहित करें ताकि अन्य महिलाएं भी समूहों से जुडें।
धन-धन बाबा साहिब सिंह स्वयं सहायता समूह की प्रधान मीनू ने बताया कि गतवर्ष उनके समूह से कम महिलाएं जुड़ी थी। लेकिन वर्तमान में उनके गु्रप से 11 महिलाएं जुड़ी हैं। सभी महिलाएं दीप और मोमबत्तियां बनाने में लगी हुई हैं जिसका समूह की महिलाओं को भरपूर लाभ मिल रहा है और अपने परिवार का काफी सहयोग भी कर रही हैं।
वहीं राधे-राधे स्वयं सहायता समूह की प्रधान वंदना कुमारी का कहना है कि समूह की सभी महिलाएं दीप और मोमबत्तियां बनाने का कार्य कर रही हैं। विभिन्न आकार की सुंदर मोमबत्तियां और दीप बना रही हैं जिससे सभी महिलाओं को रोजगार मिला है। वंदना ने बताया कि उनका मोमबत्तियां बनाने का कार्य अच्छे तरीके से चल रहा है जिसका समूह की महिलाओं का काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने अन्य महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने का अपील की ताकि वह भी अपने लिए आय के साधन सृजित कर आत्मनिर्भर बन सके।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कर रही बेहतर प्रयास
पीओ डीआरडीए शेफाली शर्मा ने बताया कि जिला ऊना एनआरएलएम के क्षेत्र में एक अग्रणी जिला है जिसमें लगभग 2700 स्वयं सहायता समूह में लगभग 27 हज़ार महिलाएं जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को विभाग की ओर से रिवॉल्विंग फंड, स्टार्ट अप फंड व लोन की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 6 करोड़ रूपये के ऋण की सुविधा भी एसएचजी की महिलाओं को मुहैया करवाई गई है जिसके माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है और उनकी आर्थिकी भी मजबूत हो रही है। उन्होंने बतााय कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित किए उत्पादों को सभी ब्लॉकों में हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखती हैं। उन्होंने कहा कि जिला के विभिन्न समूहों से जुड़ी महिलाएं दीवाली त्यौहार के लिए मिलेटस से बनी मिठाईयां और गोबर-मिट्टी से बने दीये और मोमबत्तियां बना रही हैं। उन्होंने बताया कि समूहों द्वारा तैयार उत्पादों को बिक्री के लिए एमसी पार्क ऊना में विशेष स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि वहां पर आसानी से एक स्थान पर ही अपने उत्पादों को बेच सकें। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे एसएचजी द्वारा निर्मित उत्पादों को खरीदें क्योंकि यह गुणवत्तायुक्त हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए सरकार द्वारा एक बेहतर प्रयास है।
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