शीत ऋतु के दृष्टिगत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सिरमौर की एडवाइजरी

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नाहन 23 दिसम्बर दृजिला सिरमौर में पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ती ठंड को मध्यनज़र रखते हुए जिला प्रशासन ने एडवाज़री जारी की है। एडवाइज़री जारी करते हुए उपायुक्त एवं अध्यक्ष- जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सुमित खिमटा ने कहा कि घटते तापमान को देखते हुए आगामी दिनों में और ठंडी हवाएं/शीतलहर एवं घना कोहरा/धुंध पड़ने के आसार देखे जा सकते हैं। ऐसे में उन्होंने आम जनमानस से अपील कि है की अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें। शीतलहर और धुंध खतरनाक साबित हो सकती है। घना कोहरा एवं धुंध में यातायात सम्बन्धी सूचना व सलाह के लिए स्थानीय समाचार पत्रों, न्यूज़, टी.वी व आपदा प्रबंधन के फेसबुक पेज से लगातार जुड़े रहें।
सुमित खिमटा ने बताया कि कोहरे में अपने वाहन को कम गति पर चलाएं। कोहरे के दौरान लाइट को कम बीम पर रखें। उच्च बीम धुंधले मौसम की स्थिति में उतने प्रभावी नहीं होते हैं। यदि दृश्यता कम हो तो फॉग लाइट का उपयोग करें। वाहनों के बीच अच्छी दूरी बनाए रखें, जब दृश्यता बेहद खराब हो, सड़क पर पेंट की गई लाइन का उपयोग एक गाइड के रूप में करें। इसके अलावा वाहन चलाते समय मोबाइल फोन और उच्च संगीत प्रणाली का उपयोग न करें।
इसके अतिरिक्त उपायुक्त  ने गत 16 नवंबर को शीतकालीन ऋतु से निपटने एवं तैयारियों संबंधी बैठक समस्त विभागों के साथ की थी तथा इसमें लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय उच्च मार्ग, जल शक्ति विभाग, बिजली विभाग, पर्यटन निगम, खाद्य आपूर्ति निगम आदि समस्त संबंधित विभागों को आवश्यक तैयारी एवं सुरक्षात्मक योजना बनाने व सतर्क रहने के आदेश दिए हैं। इसके अतिरिक्त जैसा की चुडधार चोटी स्थित शिरगुल महाराज मंदिर की यात्रा एवं कपाट 1 दिसंबर 2023 से 12 अप्रैल 2024 तक श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की यात्रा एवं दर्शनों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है। अतः सभी से अपील की गई है कि आगामी शीत ऋतु के मध्य भारी बर्फबारी एवं सड़कों व रास्तों के बंद होने के स्थिति के मद्देनजर चूडधार यात्रा पर ना जाए। इसी संबंध में उपमंडल अधिकारी संगडाह एवं उपमंडल अधिकारी चौपाल जिला शिमला द्वारा भी यात्रा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है। अतः चूड़धार यात्रा करने से बचें।
उपायुक्त ने बताया कि शीतलहर के दौरान घर के अंदर सुरक्षित रहें तथा अत्यधिक बर्फबारी एवं कोहरे वाली स्थिति में सड़कों पर वाहनों का प्रयोग कम से कम करें, क्योंकि इससे विचलन हो सकती है एवं गाड़ी अनियंत्रित होकर गहरी खाइयों में
गिरने की संभावनाएं ज्यादा रहती है। इसके साथ ही घर से बाहर जाते हुए सिर, कान, हाथ, पैर और नाक को ढक कर ही बाहर निकलें। समाचार पत्र, रेडियो, टीवी से मौसम की जानकारी लेते रहें। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान और आगiमी तापमान में
परिवर्तन के बारे में सतर्क रहें। शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए पोषक आहार एवं गरम पेय पदार्थ का सेवन करें। ठंड में ऊनी एवं गरम कपड़ों को पहनें। शरीर को सूखा रखें। कपड़े गीले होने की स्थिति में ऊष्मा का अभाव हो सकता है।
उन्होंने बताया कि कमरों में हीटर, केरोसिन, कोयले की अंगीठी का प्रयोग करते हुए, धुएं के निकास का उचित प्रबंध करना सुनिश्चित करें। अपने सिर को ढक कर रखें, क्योंकि ठण्ड में सिर के माध्यम से ऊष्मा का अभाव हो सकता है। अपने मुंह को
भी ढक कर रखें, इससे आपके फेफड़ों को ठण्ड से सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने बताया कि कम तापमान में कठिन काम न करें, क्षमता से अधिक शारीरिक कार्य न करें, इससे ह्रदयघात का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसके अतिरिक्त शीतदंश के
लक्षणों पर नज़र रखें जैसे शरीर के अंगों का सुन्न पड़ना हाथों, पैरों की उँगलियों, कान, नाक, आदि पर सफ़ेद या पीले रंग के दाग उभर आना इत्यादि। उन्होंने बताया कि हाईपोथर्मिया के लक्षणों पर नज़र रखें जैसे याददाश्त कमजोर होना, असीमित
ठिठुरना, सुस्ती, थकान, तुतलाना इत्यादि।
उन्होंने कहा कि यदि तबीयत ठीक न लगे या किसी भी प्रकार की दिक्कत महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उन्होंने कहा की शीतकालीन ऋतु में किसी भी प्रकार की आपातकालीन एवं आपदा की स्थिति में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, नाहन के निशुल्क दूरभाष नंबर 1077 पर तुरंत संपर्क करें।

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