भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज और भी अधिक प्रासंगिक: राज्यपाल

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किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ शिमला द्वारा इंडो-तिब्बत फ्रेंडशिप सोसायटी शिमला के सहयोग से आज भगवान बुद्ध की 2568वीं जयन्ती के अवसर पर दोरजे डरैक बौद्ध विहार पंथाघाटी शिमला में समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मुख्यातिथि रहे।
राज्यपाल ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान बुद्ध द्वारा दी गई करूणा, शांति तथा मोक्ष की शिक्षाएं समय, संस्कृति तथा सरहदों से परे करोड़ों लोगों को आत्मिक शांति तथा सार्वभौमिक भाईचारे के पथ पर चलने के लिए प्ररित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनका संदेश आज और भी ज्यादा प्रासंगिक है क्यांेकि हम इस आधुनिक संसार में प्रायः मतभेद और भौतिकवाद से जूझ रहे हैं। भगवान बुद्ध का जीवन तथा इनकी शिक्षाएं आत्मविश्लेषण, नैतिक जीवनशैली तथा ज्ञान की खोज की महत्वता पर बल देती हैं। उनके चार महान सत्य तथा अष्टांगिक मार्ग व्यक्तिगत तथा सामूहिक सौहार्द प्राप्त करने का उत्तम साधन है जो सदैव प्रासंगिक रहेगा। ये सिद्धान्त हमें हमारी पीड़ा का सामना करने, इसके कारण समझने तथा पीड़ा से मुक्ति पाने के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में ये शिक्षाएं हम में सहनशीलता, सहानुभूति तथा परस्पर सम्मान की भावना जागृत करती हैं। ये हमें सांसारिक लगाव की अनस्थिरता तथा सचेतना व करूणा आधारित जीवन की महता को समझने में सहायता करते हैं।
राज्यपाल ने किन्नौर व लाहौल-स्पीति के बौद्ध समुदायों तथा इंडो-तिब्बत फ्रेंडशिप सोसायटी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उनके प्रयास बौद्ध धर्म की समृद्ध विरासत के संरक्षण तथा संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
शिव प्रताप शुक्ल ने इन समुदायों द्वारा भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक महता को बनाए रखने के लिए समर्पण भाव से किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इनके प्रयासों के फलस्वरूप समाज में शांति, अहिंसा तथा करूणा का महत्व बढ़ रहा है तथा नई पीढ़ी प्रेरित हो रही है।
उन्होंने कहा कि यह त्योहार भारत और तिब्बत के लोगों के मध्य गहरी मित्रता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक भी है। इस अवसर पर हमारा साझा इतिहास तथा सांस्कृतिक रिश्ते और मजबूत होते हैं, जिससे पारस्परिक सौहार्द बढ़ता है। उन्होंने लोगों से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को दैनिक जीवन में अपनाने के प्रयास करने तथा दुनिया में करूणा, ज्ञान और शांति को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर यांग्सी रिनपोचे को सम्मानित किया।
राज्यपाल ने भारतीय समुदाय से सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रवण कुमार तथा तिब्बती समुदाय से भिक्षु शेडुप वांग्याल को भारत-तिब्बत मैत्री सम्मान-2024 प्रदान किया।
इससे पूर्व, इंडो-तिब्बत फ्रेंडशिप सोसायटी शिमला के उपाध्यक्ष छेरिंग दोरजेे ने राज्यपाल का स्वागत किया।
किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ शिमला के सदस्य ज्ञान नेगी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में अध्ययनरत लाहौल-स्पीति के विद्यार्थियों तथा तिब्बती स्कूल शिमला के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
राज्यपाल ने दोरजे डरैक बौद्ध विहार में प्रार्थना भी की।
इस अवसर पर इंडो-तिब्बत फ्रेंडशिप सोसायटी शिमला के अध्यक्ष तथा किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ के अध्यक्ष वी.एस. नेगी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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