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शिमला, 18 जून –
अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मोत्सव शिमला 2024 के आखिरी दिन आज यहां पुलिस सहायता कक्ष के समीप महानाटी का आयोजन किया गया, जिसमें एकीकृत बाल विकास परियोजना शिमला व मशोबरा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की लगभग 300 महिलाओं ने भाग लिया।
जिला उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने कहा कि शिमला ग्रीष्मोत्सव 2024 में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है इसी में से महिलाओं द्वारा महानाटी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महानाटी से महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया, जिसमें अन्य स्थानीय महिलाओं और पर्यटकों ने भी उनके साथ नाटी डाली।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा, जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पॉल ने भी नाटी में शामिल हुए ।
*गेयटी थियेटर में अंधा युग नाटक का मंचन*
शिमला ग्रीष्मोत्सव 2024 में कार्यक्रमों की कड़ी में आज गेयटी थियेटर शिमला में डाॅ. धर्मवीर भारती द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध नाटक अंधा युग प्रस्तुत किया गया। यह नाटक ”महाभारत” विषय पर आधारित था। इस नाटक के निर्देशक हिमाचल प्रदेश सचिवालय सांस्कृतिक क्लब राजेश भारद्वाज को नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा प्रतियोगिता में कई सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिले है।
इस अवसर पर जिला उपायुक्त अनुपम कश्यप , पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव कुमार गांधी, अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा सहित अन्य लोगों ने नाटक का मंचन किया।
*स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगाए गए स्टाॅल*
अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मोत्सव में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा स्टाॅल स्थापित कर लोगों और पर्यटकों को पारम्परिक व्यंजन परोसे गए, जिसका लोगों ने खूब आनंद उठाया और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिकी को बाल मिलेगा। जिसमे महिलाओं द्वारा 8 स्टाॅल स्थापित किए गए है। इन स्टाॅल को 16 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा स्थापित किए गए थे। 8 स्टॉल में 2 पारंपरिक व्यंजनों तथा अन्य प्रोडक्ट के स्टॉल लगाए गए है जिसमे लगभग 35 से 40 की सहभागिता सुनिश्चित हुई है।
बेहरूपिया और कच्छी घोड़ी बना लोगों के आकर्षण का केन्द्र
अंतर्राष्ट्रीय ग्रीष्मोत्सव में प्रतिदिन बहरूपिया और कच्छी घोड़ी नृत्य का आयोजन किया गया, जो लोगों और बच्चों के आकर्षण का केन्द्र बना।
बहुरूपिए अपना रूप चरित्र के अनुसार बदल लेते हैं और उसी के चरित्र के अनुरूप अभिनय करने में प्रवीण होते हैं। अपने श्रृंगार और वेषभूषा की सहायता से वे वही चरित्र लगने लग जाते हैं, जिसके रूप की नकल वह करते हैं।
कच्छी घोड़ी नृत्य नकली घोड़ों पर किया जाता है। पुरुष बेहतर चमकते दर्पणों से सुसज्जित फैंसी ड्रेस पहनते है ,और नकली घोड़ों पर सवारी करते हैं।
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