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उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत पहला चरण 14 जून से 30 जून तक चलाया जा रहा है तथा इसके बाद यह अभियान 31अगस्त तक चलाया जाएगा।जिसमे जिले के 3086 गावों में शून्य से पाच वर्ष आयु वर्ग के कुल 29470 बच्चों के 25660 घरों में ओआरएस के पैकेट तथा जिंक की गोलियों का वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दस्त से निर्जलीकरण के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तीव्र तरीके से क्रियान्वित की जाने वाली गतिविधियों में मुख्य रूप से – डायरिया रोकथाम प्रबंधन के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों को तेज करना, दस्त के मामलों के प्रबंधन के लिए सेवा प्रावधान को मजबूत करना, ओआरएस-जिंक कोनों की स्थापना, पांच साल से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में आशा वर्कर द्वारा ओआरएस की व्यवस्था करना और स्वच्छता और सफाई के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियां चलाई जाएंगी । उन्होंने कहा कि डायरिया रोकथाम अभियान का लक्ष्य बाल दस्त के कारण होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करना है इसमें , उन हस्तक्षेपों का प्रयोग किया जाता है जिनका बचपन में दस्त से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को नियंत्रित करने में बड़ा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने डायरिया रोकथाम अभियान की रणनीति में समुदाय में ओआरएस और जिंक की बेहतर उपलब्धता और उपयोग, निर्जलीकरण के मामलों के प्रबंधन के लिए सुविधा स्तर को सुदृढ़ बनाना, आईसी अभियान के माध्यम से दस्त की रोकथाम और नियंत्रण पर जानकारी और संचार को बढ़ाने पर बल दिया।
उन्होंने कहा इसके अंतर्गत समुदाय/ग्राम स्तर पर ओआरएस का वितरण एवं प्रदर्शन, दस्त के प्रबंधन के साथ-साथ स्वच्छता और सफाई पर एएनएम द्वारा आईपीसी गतिविधियाँ, स्कूलों में हाथ धोने का प्रदर्शन तथा स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर, उपचार के लिए ओआरएस और जिंक कॉर्नर की स्थापना, दस्त के मामलों के मानक प्रबंधन को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य सुविधाओं में पानी की टंकियों की सफाई इत्यादि पर कार्य करने के लिए सभी विभाग अपनी भूमिका को सुनिश्चित बनाएं।
बैठक में जिला पंचायत अधिकारी दया राम, सहित बाल विकास परियोजना अधिकारी बाल विकास परियोजना अधिकारी सहित शिक्षा विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग जल शक्ति विभाग सहित विभिन्न संबंध विभागों के अधिकारी उपस्थित थे ।
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