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जिला क्षय रोग फॉरम और जिला क्षय सह रूग्णता (कोमोर्बिडिटी) एवं जिला क्षय रोग समिति की बैठक का बुधवार को उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में सम्मपन हुई।
उपायुक्त ने बैठक में निर्देश दिए कि जिला को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए विभाग, एनजीओ और प्रशासन तीव्र गति से कार्य करें। उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाए और जिला के निजी अस्पतालों को क्षय रोग मुक्त अभियान के तहत जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि वहां पर लोगों के लिए टीबी टेस्टिंग की सुविधा मुहैया होनी चाहिए।
उन्होने कहा कि 2025 तक भारत क्षय रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य के तहत कार्य कर रहा है। वर्ष 2023 में एक लाख लोगों में 258 क्षय रोग मरीज पाए गए है। इसी दिशा में वर्ष 2025 के लिए इस संख्या को कम करने की दिशा में कार्य करते हुए 43 मरीज तक लाने का लक्ष्य रखा गया। वर्ष 2023 में 12 मरीजों की मृत्यु हुई है जबकि 2025 में इस दर को कम करने की दिशा में कार्य करते हुए 3 तक लाने का लक्ष्य है।
उन्होने कहा कि 2025 तक भारत क्षय रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य के तहत कार्य कर रहा है। वर्ष 2023 में एक लाख लोगों में 258 क्षय रोग मरीज पाए गए है। इसी दिशा में वर्ष 2025 के लिए इस संख्या को कम करने की दिशा में कार्य करते हुए 43 मरीज तक लाने का लक्ष्य रखा गया। वर्ष 2023 में 12 मरीजों की मृत्यु हुई है जबकि 2025 में इस दर को कम करने की दिशा में कार्य करते हुए 3 तक लाने का लक्ष्य है।
बैठक में क्षय रोग के मामलों को लेकर, क्षय रोग उन्मूलन में एनजीओ की भूमिका, मरीजों की टेस्टिंग, उपचार केंद्र और वेलनेस सेंटर के विकेन्द्रीकरण, टीबी केयर मॉडल के बारे, टीफा प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन, टीबी मुक्त पंचायत और निक्षय मित्र के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश प्रताप, जिला क्षय रोग अधिकारी विनीत लखपनपाल, आईजीएमसी से डॉ मलय सरकार, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक तेंजिन अस्पताल, डॉ रमेश चंद तथा अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश प्रताप, जिला क्षय रोग अधिकारी विनीत लखपनपाल, आईजीएमसी से डॉ मलय सरकार, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक तेंजिन अस्पताल, डॉ रमेश चंद तथा अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।
कफ सिरप खरीदने वाले व्यक्ति का दर्ज होगा मोबाईल नंबर
जपाइगो का प्रोजेक्ट टीबी इंप्लीमेंटेशन फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (टीफा) जिला में 01 अगस्त 2024 से शुरू किया जाएगा। इसमें जिला के हर मेडिकल स्टोर के केमिस्ट को कफ सिरप खरीदने वाले व्यक्ति का डाटा टीबी मुक्त हिमाचल एप पर अपलोड करना होगा। फिर 7 दिन बाद उस व्यक्ति को ऑटोमेटड कॉल जाएगी। अगर सात दिनों के भीतर भी खांसी दवा से ठीक नहीं हुई तो व्यक्ति टीबी टेस्टिंग करने के लिए कहा जाएगा। इस बारे में उपायुक्त ने जपाइगो के प्रतिनिधि को विस्तृत प्रस्तुतीकरण देने के निर्देश दिए ।
जपाइगो का प्रोजेक्ट टीबी इंप्लीमेंटेशन फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (टीफा) जिला में 01 अगस्त 2024 से शुरू किया जाएगा। इसमें जिला के हर मेडिकल स्टोर के केमिस्ट को कफ सिरप खरीदने वाले व्यक्ति का डाटा टीबी मुक्त हिमाचल एप पर अपलोड करना होगा। फिर 7 दिन बाद उस व्यक्ति को ऑटोमेटड कॉल जाएगी। अगर सात दिनों के भीतर भी खांसी दवा से ठीक नहीं हुई तो व्यक्ति टीबी टेस्टिंग करने के लिए कहा जाएगा। इस बारे में उपायुक्त ने जपाइगो के प्रतिनिधि को विस्तृत प्रस्तुतीकरण देने के निर्देश दिए ।
24 मार्च को हर पंचायत में विशेष कार्यक्रम
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला को क्षय रोग मुक्त बनाने के उद्देश्य से टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत पंचायत स्तर पर कार्य किया जा रहा है। जिला की हर पंचायत में 24 मार्च को होने वाले विश्व क्षय दिवस पर विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इसमें क्षय रोग के बारे में स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला को क्षय रोग मुक्त बनाने के उद्देश्य से टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत पंचायत स्तर पर कार्य किया जा रहा है। जिला की हर पंचायत में 24 मार्च को होने वाले विश्व क्षय दिवस पर विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इसमें क्षय रोग के बारे में स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाएगा।
क्षय रोग मुक्त ग्राम पंचायत बनने पर जोर
टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत ही क्षय रोग मुक्त ग्राम पंचायत के लिए अनिवार्य मापदंड तैयार किए गए हैं, जिसमें साल में एक हजार लोगों की जनसंख्या में से कम से कम 30 लोगों के टीबी टेस्ट करवाने अनिवार्य है तथा एक साल में एक से अधिक का टेस्ट पॉजिटिव नहीं होना चाहिए। क्षय रोग पंचायत को जिला स्तर पर प्रशस्ति पत्र से नवाजा जाएगा। उपायुक्त ने निर्देश दिए है कि हर पंचायत में क्षय रोग के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने पंचायत के प्रतिनिधियों से भी अपील की है कि क्षय रोग के बारे में जागरूकता अभियानों का हिस्सा बने और लोगों की सहभागिता भी इसमें सुनिश्चित करें।18 लाख 22 हजार रुपए की वित्तीय सहायता जारी
निक्षय पोषण योजना के तहत जिला भर में 1080 लाभार्थी है। इनमें से 892 लाभार्थियों के बैंक खाते में 18 लाख 22 हजार रुपए की वित्तीय सहायता प्रेषित कर गई है। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि अन्य लाभार्थियों की औपचारिकताओं को पूरा करके सहायता राशि जारी की जाए।
टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत ही क्षय रोग मुक्त ग्राम पंचायत के लिए अनिवार्य मापदंड तैयार किए गए हैं, जिसमें साल में एक हजार लोगों की जनसंख्या में से कम से कम 30 लोगों के टीबी टेस्ट करवाने अनिवार्य है तथा एक साल में एक से अधिक का टेस्ट पॉजिटिव नहीं होना चाहिए। क्षय रोग पंचायत को जिला स्तर पर प्रशस्ति पत्र से नवाजा जाएगा। उपायुक्त ने निर्देश दिए है कि हर पंचायत में क्षय रोग के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने पंचायत के प्रतिनिधियों से भी अपील की है कि क्षय रोग के बारे में जागरूकता अभियानों का हिस्सा बने और लोगों की सहभागिता भी इसमें सुनिश्चित करें।18 लाख 22 हजार रुपए की वित्तीय सहायता जारी
निक्षय पोषण योजना के तहत जिला भर में 1080 लाभार्थी है। इनमें से 892 लाभार्थियों के बैंक खाते में 18 लाख 22 हजार रुपए की वित्तीय सहायता प्रेषित कर गई है। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि अन्य लाभार्थियों की औपचारिकताओं को पूरा करके सहायता राशि जारी की जाए।
निक्षय मित्र किए सम्मानित
निक्षय मित्र कैंपेन के अंतर्गत एसजेवीएनएल और शिव दयाल रोशन लाल फर्म को उपायुक्त शिमला द्वारा सम्मानित किया गया। क्षय मुक्त भारत में उक्त दोनों फर्म के अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया। उन्होंने जिला के अन्य लोगों, एनजीओ आदि से अपील की है कि क्षय रोग मुक्त जिला में सहभागिता देने के लिए आगे आए। एसजेवीएनएल के सौजन्य से पोषण किट की खरीद के लिए 42 लाख 54 हजार रुपये की राशि प्रायोजित हुई है, जिसकी पहली किस्त जिला रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से जिला क्षय रोगियों को न्यूट्रिशनल किट वितरित की जा रही है। इन न्यूट्रिशनल किट में देसी घी, गुड़, दालें और नटस शामिल है। अभी तक 1300 किट वितरित की गई है, जबकि शेष 3500 किट इस वर्ष वितरित कर दी जाएँगी। वहीं शिवदयाल फर्म द्वारा पिछले पांच वर्षों से क्षय रोगियों को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
निक्षय मित्र कैंपेन के अंतर्गत एसजेवीएनएल और शिव दयाल रोशन लाल फर्म को उपायुक्त शिमला द्वारा सम्मानित किया गया। क्षय मुक्त भारत में उक्त दोनों फर्म के अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया। उन्होंने जिला के अन्य लोगों, एनजीओ आदि से अपील की है कि क्षय रोग मुक्त जिला में सहभागिता देने के लिए आगे आए। एसजेवीएनएल के सौजन्य से पोषण किट की खरीद के लिए 42 लाख 54 हजार रुपये की राशि प्रायोजित हुई है, जिसकी पहली किस्त जिला रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से जिला क्षय रोगियों को न्यूट्रिशनल किट वितरित की जा रही है। इन न्यूट्रिशनल किट में देसी घी, गुड़, दालें और नटस शामिल है। अभी तक 1300 किट वितरित की गई है, जबकि शेष 3500 किट इस वर्ष वितरित कर दी जाएँगी। वहीं शिवदयाल फर्म द्वारा पिछले पांच वर्षों से क्षय रोगियों को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
जिला में 1080 मरीज
बैठक में बताया गया कि जिला में 1080 टीबी में मामले है। इसमें से 88.2 फीसदी मरीजों का उपचार हो चुका है, जबकि 60 मरीजों की मौत हुई। जिला में दो सीबीनॉट मशीने जुब्बल और नेरवा में दी गई हैं। इसके अलावा जिला के हर खंड में नॉट सुविधा शुरू हो गई है। जिला के कुल 1080 टीबी मरीजों में से 1014 का एचआईवी टेस्ट किया गया, जिसमें 04 मरीज एचआईवी संक्रमित पाए गए। वहीं 984 मरीजों का मधुमेह टेस्ट किया गया जिसमें 73 संक्रमित पाए गए। 931 मरीजों को तंबाकू यूज टेस्ट किया गया जिसमें 57 मरीज पॉजिटिव पाए गए।
बैठक में बताया गया कि जिला में 1080 टीबी में मामले है। इसमें से 88.2 फीसदी मरीजों का उपचार हो चुका है, जबकि 60 मरीजों की मौत हुई। जिला में दो सीबीनॉट मशीने जुब्बल और नेरवा में दी गई हैं। इसके अलावा जिला के हर खंड में नॉट सुविधा शुरू हो गई है। जिला के कुल 1080 टीबी मरीजों में से 1014 का एचआईवी टेस्ट किया गया, जिसमें 04 मरीज एचआईवी संक्रमित पाए गए। वहीं 984 मरीजों का मधुमेह टेस्ट किया गया जिसमें 73 संक्रमित पाए गए। 931 मरीजों को तंबाकू यूज टेस्ट किया गया जिसमें 57 मरीज पॉजिटिव पाए गए।
आईजीएमसी के प्रशिक्षु चिकित्सकों ने गोद लिए परिवार
बैठक में आईजीएमसी के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनमोल गुप्ता ने एनएमसी के परिवार दत्तक कार्यक्रम (फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम) के बारे में बताया । उन्होंने कहा कि आईजीएमसी शिमला के एमबीबीएस प्रशिक्षु चिकित्सकों ने घर-घर जाकर परिवार आकलन (सर्वे) को सफ़लता का अमलीजाम पहनाया जिसमे टूड के 22 परिवार, रज्ञान के 35, कमयाना के 21 परिवार, मनाव के 26 और भौंट के 19 परिवार परिवार दत्तक कार्यक्रम में पंजीकृत किए गए। इनमें 315 परिवार सदस्यों की रक्तचाप जांच, 324 की मधुमेह जांच और 330 की हीमोग्लोबिन जांच की गई जिसमें उच्च रक्तचाप के 15 लाभार्थी, मधुमेह के 05 और खून में हीमोग्लोबिन की कमी के 46 लाभार्थी उपयुक्त जांच हेतु चिन्हित किए गए।
बैठक में आईजीएमसी के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनमोल गुप्ता ने एनएमसी के परिवार दत्तक कार्यक्रम (फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम) के बारे में बताया । उन्होंने कहा कि आईजीएमसी शिमला के एमबीबीएस प्रशिक्षु चिकित्सकों ने घर-घर जाकर परिवार आकलन (सर्वे) को सफ़लता का अमलीजाम पहनाया जिसमे टूड के 22 परिवार, रज्ञान के 35, कमयाना के 21 परिवार, मनाव के 26 और भौंट के 19 परिवार परिवार दत्तक कार्यक्रम में पंजीकृत किए गए। इनमें 315 परिवार सदस्यों की रक्तचाप जांच, 324 की मधुमेह जांच और 330 की हीमोग्लोबिन जांच की गई जिसमें उच्च रक्तचाप के 15 लाभार्थी, मधुमेह के 05 और खून में हीमोग्लोबिन की कमी के 46 लाभार्थी उपयुक्त जांच हेतु चिन्हित किए गए।
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