शिक्षा के क्षेत्र में नवोन्मेष और नवाचार से उज्ज्वल बनाया जा रहा विद्यार्थियों का भविष्य

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राज्य में शिक्षा के क्षेत्र को सुदृढ़ करना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। इसी के मद्देनजर प्रदेश सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में नवोन्मेषी पहल की जा रही हैं ताकि विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दें और हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी राज्य बनकर उभरें। 
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा हाल ही में 1029 टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिनमें 498 कला संकाय, 335 नॉन मेडिकल और 196 मेडिकल संकाय के शिक्षक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र और लेक्चरर के 486 पद, स्कूल कैडर प्रिंिसंपल के 157 पद और विशेष देखभाल वाले बच्चों के स्पेशल एजुकेटर के 245 पद भरे गए हैं।
प्रदेश सरकार शैक्षणिक अधोसंरचना को भी सुदृढ़ कर रही है जिसके तहत विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्मार्ट कक्षाएं और आधुनिक पुस्तकालय शुरू किए गए हैं। 850 शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा किया गया है और वर्चुअल क्लासरूम और होस्टल सुविधा प्रदान की जा रही है। यह कदम सरकार की दूरगामी सोच के परिचायक हैं। खेल से स्वास्थ्य योजना के तहत 110 शैक्षणिक संस्थानों को स्पोर्ट्स मैट और अन्य उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके अतिरिक्त 40 हजार स्कूल डेस्क और 29 सोलर पैनल भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
डॉ. यशवंत सिंह परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए महज एक फीसदी ब्याज पर 20 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। चार लाख रुपये की वार्षिक आय वाले परिवार इस योजना का लाभ ले सकते हैं। अब तक इस योजना के तहत 5.25 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं ताकि धनराशि की कमी विद्यार्थियों के सपने साकार करने में बाधा न बने। 
राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत वर्ष 2022-23 में 81,618 विद्यार्थियों को 5419.29 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। श्री निवास रामानुजन विद्यार्थी योजना के तहत 10वीं, 12वीं और महाविद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को 11,552 टैबलेट प्रदान किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है कि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के साथ-साथ डिजिटल साक्षरता हासिल करें और भविष्य की नवीन तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम हो सकें। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की पहल के तहत विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्मार्ट और वर्चुअल कक्षाएं शुरू की गई हैं। सरकार उच्च विद्यालय छोटा शिमला, सलोह (ऊना) और उत्कृष्ट महाविद्यालय संजौली आठ करोड़ रुपये के बजट के साथ पूरी तरह से स्मार्ट विद्यालयों और महाविद्यालयों में परिवर्तित किए जा चके हैं। सीखने का अनुभव बेहतर बनाने के लिए इन शैक्षणिक संस्थानों में आधुनिक पुस्कालय स्थापित किए गए हैं।
प्रदेश सरकार ने पोस्ट ग्रजुएट कैलेंडर की शुरूआत करते हुए स्नातकोत्तर शिक्षकोेें को विद्यार्थियों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक वार्षिक गतिविधि योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य वर्ष 2024-25 के अकादमिक सत्र से वार्षिक अध्ययन दिवसों को 180 से 210 करना है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के मूल्यांकन में सुधार के लिए एकीकृत परीक्षण तंत्र स्थापित किया गया है। सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को वर्ष में दो जॉब फेयर आयोजित करना अनिवार्य किया है, इनमें स्थानीय विशेषज्ञों और उद्यमियों को शामिल करते हुए रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया गया है।
कम विद्यार्थी संख्या वाले विद्यालयों का विलय और वर्ष में अकादमिक सत्र के दौरान तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध का फैसला विद्यार्थियों के हितों के मद्देनजर लिया गया है। सरकार के इस रणनीतिक कदम से संसाधनों का अनुकूलन और शिक्षा का समावेश सुनिश्चिित होगा। इसके अलावा विद्यार्थियों को प्राथमिक उपचार और सीपीआर में प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार ने शिक्षकों के लिए विदेशों में एक्सपोजर विजिट की पहल की है। इस पहल के तहत पहले चरण में 200 शिक्षक सिंगापुर के भ्रमण पर गए और वहां शैक्षणिक गतिविधियों का ज्ञान अर्जन किया। इसके अलाव अन्य 200 शिक्षक केरल और अन्य राज्यों में शैक्षणिक अनुभव हासिल कर लौटे हैं।
सरकार की इस पहल का उद्देश्य मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानक कायम करना, सुविधाओं से शिक्षकों के ज्ञान को तराशकर भविष्य के लिए असीमित अवसर उपलब्ध करवाने का मंच प्रदान करना है।
शिक्षा के क्षेत्र को नई ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए व्यापक स्तर पर किए जा रहे यह सुधार को सरकार के समपर्ण और प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। सरकार के इन महत्त्वाकांक्षी प्रयासों से निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में उभरेगा जोकि आत्मनिर्भर बनने की परिकल्पना को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा।

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