बागवानों के हितों के संरक्षण के लिए यूनिवर्सल/स्टैंडर्ड कार्टन का किया प्रावधान
हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्रदेश सरकार ने बागवानों के हितों के संरक्षण के दृष्टिगत सेबों की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल/स्टैंडर्ड कार्टन का प्रावधान किया है। इसका मुख्य उद्देश्य बागवानों को वास्तविक वजन के आधार पर सेब का मूल्य उपलब्ध करवाना है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 23 अपै्रल, 2024 को जारी अधिसूचना के अनुसार लार्ज, मीडियम एवं स्मॉल ग्रेड के सेबों के लिए कार्टन का आकार 500 मि.मी. ˜ 300 मि. ली. ˜330 मि.मी. व एक्स्ट्रा लार्ज, एक्स्ट्रा स्मॉल एवं पित्तु ग्रेड के सेबों के लिए कार्टन का आकार 500 मि.मी. ˜300 मि. मी. ˜ 310 मि. मी. है। इन साइज के कार्टन में तय वजन लगभग 20 किलो सेब की पैकिंग की जा सकती है जबकि पहले प्रचलित टैलीस्कोपिक कार्टन 2 पीस में 20-40 किलों तक सेब की पैकिंग की जा सकती थी। सरकार के इस निर्णय का सभी हितधारकों जैसे बागवानों, आढ़तियों एवं खरीददारों द्वारा स्वागत किया गया है तथा इसे सहर्ष अपनाया है। यूनिवर्सल कार्टन अपनाने से सेब की ग्रेडिंग में गुणात्मक सुधार हुआ है जिससे बागवानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा बागवानों के लम्बित भुगतान को निपटाने के लिए विशेष अन्वेषण दल का गठन किया गया है। विशेष अन्वेषण दल को प्राप्त कुल 3451 शिकायतों में से 3076 का निपटारा किया जा चुका है। खरीददारों द्वारा आढ़तियों के पैसे न देने की शिकायतों के निपटारे के लिए भी सरकार विशेष अन्वेषण दल द्वारा जांच पर विचार कर रही है। यह भी ध्यान में आया है हिमाचल प्रदेश के कुछ आढ़ती जिन्होंने बागवानों की फसल का भुगतान नहीं किया था और इस कारण उनके लाईसैंसों का नवीनीकरण नहीं हुआ वे बाहरी राज्यों की मण्डियों में कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने सभी बागवानों से आग्रह किया कि वह हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड की मण्डियों में पंजीकृत आढ़तियों को ही अपनी फसल बेचें। राज्य सरकार द्वारा बागवानी विकास परियोजना, हिमाचल प्रदेश कृषि विविधीकरण परियोजना एवं विपणन बोर्ड तथा मण्डी समितियों के माध्यम से नई मण्डियों का सृजन एवं पुरानी मण्डियों का सुदृढ़ीकरण किया है जिनमें किसानों एवं बागवानों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
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