टीबी मुक्त अभियान को बनाया जाएगा कारगर: सीएमओ

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धर्मशाला 13 अगस्त। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राजेश गुलेरी ने कहा कि कांगड़ा जिला में टीबी मुक्त अभियान को कारगर बनाने के लिए जनसहभागिता के साथ साथ दवाई विक्रताओं, ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सकों, दवा निरीक्षकों, आयुष विभाग के चिकित्सकों का सहयोग भी सुनिश्चित किया जाएगा। मंगलवार को धर्मशाला में टीबी निदान के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए डा राजेश गुलेरी ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का लक्ष्य कांगड़ा जिला में टीबी का पता लगाने व  निदान को मजबूत करने क ेलिए   प्रयास करना है ।
    डॉ गुलेरी ने कहा कि जिले में   टीबी निदान में होने वाली देरी को कम करने के लिए प्रोजेक्ट टीआईईएफए के तहत स्वास्थ्य विभाग और जपाईगो संस्था की एक नई पहल है । डॉ गुलेरी ने जानकारी देते हुए कहा कि अधिकांश लोग आम तौर पर लक्षणों को नजरंदाज करते है व स्वास्थ्य  को लेकर ध्यान नहीं देते । उन्होंने बताया कि भारत मे 70 फीसदी लोग टीबी के लक्षणों का  अनुभव  होने पर  शुरू में कैमिस्ट व आयुष चिकित्सकों  व नजदीकी स्वास्थ्य सेवा  प्रदाताओं  से सहायता लेते हैं  जिस कारण   लक्षण होने पर  ईलाज  में देरी होती है ।  
    डॉ गुलेरी ने कहा कि  टीआईईएफ   एक अनूठी योजना है तथा हिमाचल  पहला राज्य है जहां इसे शुरु किया जा रहा है । जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश सूद ने कहा कि  निजी व सार्वजनिक आयुष प्रदाताओं , केमिस्टों व ग्रामीण स्वास्थ्य चिकित्सकों को एकीकृत करके हिमाचल में टीबी निदान व देखभाल  में देरी को कम  करना  है  । डॉ सूद ने इस दौरान आयुष हेल्थकेयर   प्रदाताओं, केमिस्टों , आरएमपी,  , जिला ड्रग इंसपेक्टरों, एंटीईपी, सभी हितधारकों  को उनकी इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका के बारे  विस्तार से बताया । उन्होनें कहा कि जमीनी स्तर पर अभ्यास के लिए जिले के प्रत्येक ब्लाक में जपाईगो के सहयोग से  प्रशिक्षण  सत्रों का आयोजन किया  जाएगा । इस दौरान  प्रवीण चैहान  जिला कार्यक्रम अधिकारी  जपाईगो  संस्था  ने टीआईईएफ प्रोजेक्ट के लक्ष्यों  उददेश्यों, तथा अपेक्षित  परिणामों  के बारे  विस्तृत जानकारी   दी । उन्होंने कहा कि सम्भावित टीबी मामलों की पहचान करने के लिए कफ सिरप की बिक्री को ट्रैक करने के लिए , निगरानी करने व रिपोर्ट करने के लिए प्रदाता स्तर पर एक डिजिटल  रूप से सक्षम निगरानी प्रणाली लागू की गई है ।
इस प्रशिक्षण  कार्यशाला आयुष विभाग, जिला कैमिस्ट  एसोसिएशन, सहायक ड्रग कंट्रोलर, ग्रामीण क्षेत्रों  के चिकित्सकों, ड्रग इंसपेक्टरों,  ब्लॉक मेडिकल अधिकारियों,  तथा सभी  ब्लॉकों एसटीएस   ने भाग लिया

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