सकारात्मकता के साथ करें किशोरावस्था के तनाव का प्रबंधन

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सीनियर सेकेंडरी स्कूल बगेहड़ा और सुजानपुर में आयोजित किए गए तनाव प्रबंधन शिविर

सुजानपुर 20 सितंबर। महिला एवं बाल विकास विभाग ने शुक्रवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बगेहड़ा और सुजानपुर में तनाव प्रबंधन शिविर आयोजित किए।
इन शिविरों के दौरान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने कहा कि किशोरावस्था मानव जीवन का सर्वाधिक ऊर्जावान, उत्पादक एवं प्रतिस्पर्धी समय होता है। यह अत्यधिक ऊर्जा एवं प्रतिस्पर्धा किशोरों से अपने व्यवहार में कुशलता और धैर्य की भी अपेक्षा रखती है। क्योंकि, अपने आसपास के बदलते परिवेश से तालमेल स्थापित करते हुए हमारा शरीर तनाव के रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। तनाव वास्तव में हमारी वह शारीरिक और मानसिक दशा है जो हमें किसी परिस्थिति विशेष का सामना करने के लिए क्रियाशील बनाती है और तैयार करती है।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक तनाव हमें ऊर्जा से भरकर सामान्य स्थिति में असंभव दिखने वाले कार्य को संभव करने में मदद करता है क्योंकि तनाव की स्थिति में हमारी समझ-बूझ, कार्यक्षमता और कार्य करने की गति बढ़ जाती है। लेकिन, नकारात्मकता की स्थिति में यह तनाव हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति को कमजोर कर विकास को अवरुद्ध कर देता है।
इस अवसर पर मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने कहा कि तनाव प्रबंधन कार्यशालाओं का उद्देश्य तनाव की इस अति क्रियाशीलता अथवा तत्परता को उचित प्रबंधन के द्वारा सकारात्मकता में बदल कर युवाओं की ऊर्जा का सदुपयोग करना है। समय प्रबंधन, कार्य प्राथमिकता, प्रभावी संचार और सकारात्मक सोच जैसे कौशलों का विकास कर किशोरों को उनकी ऊर्जा का सदुपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
उन्होंने योग, ध्यान, श्वास प्रबंधन, स्व-सम्मोहन जैसी तकनीकों के माध्यम से किशोरियों को तनाव मुक्ति के उपाय सिखाते हुए इन उपायों को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। उन्होंने किशोरियों को खेलकूद, संगीत एवं सामाजिक रूप से उत्पादक कार्यों में भी अपनी अभिरुचि बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि समाज एवं अपने आसपास के लोगों की अपेक्षाओं से मुक्त होकर ही हम अपने मनवांछित कॅरियर का चुनाव कर सकते हैं।

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