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चंबा, 20 सितंबर
उपायुक्त मुकेश रेपसवाल ने गत दिन (वीरवार को) होली क्षेत्र की ग्राम पंचायत
दियोल में आयोजित दो दिवसीय बांड़ा महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया ।
मुकेश रेपसवाल ने क्षेत्रवासियों को समारोह की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए अपने संबोधन में कहा कि उत्सव, मेले और त्योहार किसी भी क्षेत्र की समृद्ध लोक संस्कृति के परिचायक होते हैं। उन्होंने युवा वर्ग से अपनी मौलिक लोक कला एवं संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का भी आह्वान किया।
उपायुक्त ने स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों से विकास कार्य में तेजी लाने को कहा। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि विकासात्मक कार्यों के लिए धन की
कमी नहीं है ।
उन्होंने इस दौरान महिला मंडल नृत्य प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार के रूप में 11 हजार, 8 हजार एक सौ तथा चार महिला मंडलों को पांच- पांच हजार की नगद राशि प्रदान की।
इस दौरान उपायुक्त मुकेश रेपसवाल को मुख्य संरक्षक बांड़ा महोत्सव डॉ.केहर सिंह ठाकुर तथा प्रधान ग्राम पंचायत दियोल अनिल दत्त गौत्तम ने आयोजन समिति की ओर से शॉल-टोपी एव्ं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
महोत्सव में ग्राम पंचायत दियोल, सूटकर, बनूण, झड़ौता, गुसाल के महिला मंडल प्रतिनिधियों, आदर्श आधुनिक पब्लिक स्कूल, होली वैली पब्लिक स्कूल, माध्यमिक विद्यालय दियोल के विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने
भाग लिया।
इस दौरान विभिन्न शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों एवं महिला मंडलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
उपायुक्त ने इसके पश्चात भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र सलूण, जड़ोता, कुलेठ तथा तैयारी गांव का निरीक्षण कर संबंधित विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उपायुक्त ने होली में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में भी विभिन्न व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया । उन्होंने विद्यालय के अतिरिक्त भवन निर्माण को लेकर वन विभाग तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को भूमि स्थानांतरण के लिए विभागीय प्रक्रिया पूर्ण कर संबंधित विभाग को वन संरक्षण अधिनियम के तहत मामला तैयार करने को निर्देशित किया ।
इस अवसर पर एसडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.केहर सिंह ठाकुर, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग मीत शर्मा, खंड विकास अधिकारी अनिल गुराड़ा, स्थानीय पंचायत प्रधान अनिल दत्त गौत्तम,प्रधान ग्राम पंचायत लामु लाल चंद सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे ।
उल्लेखनीय यह है कि … ..
ऐतिहासिक बांड़ा महोत्सव जनजातीय क्षेत्र भरमौर के होली इलाके में स्थानीय लोगों द्वारा सर्दियों के प्रवास शुरू करने से पहले मनाया जाता है । महोत्सव को जुदाई से पहले मिलन महोत्सव के रूप में जाना जाता है।
महोत्सव के दूसरे दिन तीन मशालें जलाई जाती हैं। मान्यता ये है कि ये मशालें ब्रह्मा, विष्णु , महेश का प्रतीक होती हैं। ये समुदाय की उपजातियों को भी प्रदर्शित करती हैं ।
गांव के महिलाएं व पुरुष अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहनकर मशाल के सन्मुख नृत्य करते हैं। ये नृत्य मशालों के बुझने तक जारी रहता है ।
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