टिशू कल्चर तकनीक से कुल्लू में सेब तथा अन्य फलदार पौधों की उन्नत किस्में पैदा कर रहे देवराज राणा

Read Time:6 Minute, 20 Second
आज जहां देश में प्रत्येक क्षेत्र नयी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रोत्साहन दे रही है वहीं कृषि बागवानी क्षेत्र में नई  तकनींक का प्रयोग बढ़ रहा है जिला कुल्लू के देवराज राणा जैव प्रौदौगिकी का प्रयोग कर टिशू कल्चर तकनीक से कुल्लू में सेब तथा अन्य  फलदार पौधों  की उन्नत  किस्में  पैदा कर जिले के बागवानो की आर्थिकी को बढाने में मदद कर रहे हैं। देवराज राणा बताते हैं की टिश्यू कल्चर एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग पौधों को फैलाने के लिए मूल पौधे से छोटे ऊतक के नमूने लेकर उन्हें एक प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में उगाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का आमतौर पर सेब के पेड़ों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह उत्पादकों को बड़ी संख्या में रोग मुक्त पेड़ों का उत्पादन करने में सहायता करता है जो आनुवंशिक रूप से मूल पौधे के समान होते हैं।  इसमें सबसे पहले एक उपयुक्त एक्सप्लांट का चयन करना है,जिसके टिशू का एक छोटा टुकड़ा लेकर ,जिसका उपयोग कल्चर शुरू करने के लिए किया जाता है । सेब के पेड़ों के मामले में, एक्सप्लांट आमतौर पर शूट टिप या पत्ती का एक छोटा सा हिस्सा होता है। एक्सप्लांट को कल्चर माध्यम में रखने से पहले, कल्चर को दूषित करने वाले किसी भी बैक्टीरिया या कवक को खत्म करने के लिए इसे स्टरलाइज किया जाता है। यह आमतौर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट (ब्लीच) या इथेनॉल के घोल का उपयोग करके किया जाता है। फिर  इसे कल्चर माध्यम में रखा जाता है, जो पोषक तत्वों से भरपूर घोल है जो पौधे को बढ़ने के लिए आवश्यक विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है। पौधे की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर माध्यम की सटीक संरचना भिन्न हो सकती है, लेकिन आम तौर पर इसमें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम), माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (जैसे आयरन, जिंक और कॉपर) और ग्रोथ हार्मोन का मिश्रण शामिल होता है। (जैसे साइटोकिनिन और ऑक्सिन)।  कल्चर माध्यम में एक्सप्लांट रखे जाने के बाद, यह बढ़ना और गुणा करना शुरू कर देगा।  एक बार जब पौधे उपयुक्त आकार तक पहुंच जाते हैं, तो उन्हें रूटिंग माध्यम में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जो जड़ों के विकास को प्रोत्साहित करता है। जड़ें बनने के बाद, पौधों को बाहरी वातावरण के अनुकूल बनाया जा सकता है और खेत में रोपाई के लिए तैयार किया जा सकता है। टिशू कल्चर सेब के पेड़ों के प्रचार के लिए एक उपयोगी तकनीक है क्योंकि यह उत्पादकों को अपेक्षाकृत कम समय में बड़ी संख्या में आनुवंशिक रूप से समान, रोग मुक्त पौधों का उत्पादन करने की अनुमति देता है।
देवराज राणा बताते हैं कि उन्होंने प्रदेश सरकार के बागवानी विभाग की मदद से विश्व बेंक  से वित्तपोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के माध्यम से एक करोड़ 98 लाख रूपये की लागत से इस प्रयोगशाला को स्थापित किया जिसके लिए उन्हें सरकार से 60 लाख रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ तथा आज वे प्रेदश भर के बागवानो को आधुनिक बागवानी के लिए मदद कर रहे हैं ।
 लग घाटी के  एक किसान हीरा लाल ने  देवराज राणा  की टिशू कल्चर लैब से तैयार पौधों का बगीचा एक बीघा भूमि में लगाया था।  वर्ष 2019 मार्च के महीने में लगाई गई नई वैरायटी के सेब ने 2020 व 21  में इन पौधों में सेम्पल  फल देना शुरू कर दिया है। 2023  में  250 पौधों से 20 किलो के 200 करेट   तैयार हुए हैं।  उन्होंने बताया कि यह  इन सेब की मंडियों में अधिक डिमांड है।  हीरा लाल ने   बताया कि वर्षों पुरानी रॉयल के  पेड़ भी उनके पास हैं लेकिन इन  250  पौधों के मुकाबले वह इतनी फसल नहीं दे पाते हैं। अब आने वाले समय में बाकी जगहों पर भी इन वैरायटी के पौधों को लगाया जाएगा।अब जिला कुल्लू  में मेरे सेब के पौधों को देख सब लोग इस वैरायटी को लगाना शुरू कर रहे हैं। इसके अलावा इन नई वैरायटी के बागवान भी खूब तरजीह दे रहे हैं।   विदेशों  से आयात किस्मों के मुकाबले यहां तैयार पौधों के ताने ज्यादा मजबूत   हैं। यह सेब कम ऊंचाई वाले इलाकों में भी तैयार होता है। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आम तौर पर सेब पर रंग की समस्या रहती है।
  देवराज राणा   कहते  बागवानों को सलाह देते है कि वह इन किस्मों को  वहां   पर लगाए जहां  पर पानी की अच्छी व्यवस्था हो।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post जिला हमीरपुर के 13 मतदान केंद्रों में आंशिक संशोधन का प्रस्ताव
Next post स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नेम प्लेट सहित अन्य सुझावों पर विचार करेगी सरकार
error: Content is protected !!