हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) के अंतर्गत आज यहां शिमला में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में बागवानी के क्षेत्र में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और आधुनिक तकनीकों की जानकारी प्रदान करना था।
निदेशक बागवानी विनय सिंह ने हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह परियोजना वर्ष 2016 में 1134 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बागवानी में आधुनिक तकनीकों और सिंचाई योजनाओं के माध्यम से बागवानों को लाभ पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से अब तक 20 हजार से अधिक बागवानों को लाभान्वित किया जा चुका है। हिमाचल प्रदेश बागवानी विश्वविद्यालय में 55 करोड़ रुपये की सहायता से आधुनिक मृदा परीक्षण केंद्र, उच्च घनत्व सेब की खेती और वायरल परीक्षण उपकरण स्थापित किए गए हैं, जिससे बागवानी को नई तकनीकों का लाभ मिलेगा।
एग्रीबिजनेस इन्कयूबेशन सर्विसेज के तहत 84 उद्यमियों को 17 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है, जिससे बागवानी से जुड़े कई सफल उद्यम स्थापित हुए हैं। इन उद्यमियों ने फल प्रसंस्करण इकाइयां, जैविक खाद उत्पादन, और मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में सफलता हासिल की है।
विश्व बैंक पोषित बागवानी विकास परियोजना में लाभान्वित उद्यमियों ने कार्यशाला में अपनी उपलब्धियों को प्रेरणादायक कहानियों के रूप मे प्रदर्शित किया।
कार्यशाला का शुभारंभ परियोजना निदेशक सुदेश मोक्टा द्वारा किया गया। उन्होंने सभी उपस्थित अधिकारियों, उद्यमियों और विशेषज्ञों का स्वागत किया। कार्यशाला में विक्रम नेगी संयुक्त सचिव बागवानी, सनी शर्मा महाप्रबंधक एचपीएमसी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
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