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भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा गेयटी थियेटर शिमला के गोथिक हॉल में आयोजित 3 दिवसीय ‘शिमला संगीत महोत्सव 2024’ का शुभारंभ आज उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा किया गया।
उन्होंने इस अवसर पर पद्मश्री सोम दत्त बट्टू को सम्मानित किया । सोम दत्त बट्टू पटियाला घराने के शिमला स्थित हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं।
संगीत महोत्सव में प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत कलाकार भाग ले रहे है।
उन्होंने इस अवसर पर पद्मश्री सोम दत्त बट्टू को सम्मानित किया । सोम दत्त बट्टू पटियाला घराने के शिमला स्थित हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं।
संगीत महोत्सव में प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत कलाकार भाग ले रहे है।
आयोजन के पहले दिवस आज अर्नव चक्रवर्ती द्वारा सरोद वादन एवं राग माल गूंजी, मंजरी चतुर्वेदी व मीता पंडित द्वारा ग्वालियर के राज दरबार का सूफी कत्थक व गायन प्रस्तुत किया गया।
अर्णव चक्रवर्ती एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार और प्रसिद्ध सरोद वादक हैं।
सरोद को एक गहरी, भारी, आत्मनिरीक्षण ध्वनि के लिए जाना जाता है।
मंजरी चतुर्वेदी भारत की एक लोकप्रिय सूफी कथक नर्तक है। वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य को एक नई कला बनाने के लिए जानी जाती है जो सूफी कथक है। मंजरी चतुर्वेदी ग्वालियर घराने से लेकर शाही दरबारों की परंपराओं तक के गीत और कहानियां प्रस्तुत करती हैं। वे गीत जो वास्तव में शाही दरबारों में गाए जाते थे।
मीता पंडित ग्वालियर घराने के पंडित परिवार की छठी अखंड वंशावली। एक ऐसा परिवार जिसने 200 से अधिक वर्षों से शास्त्रीय संगीत को जीवित रखा है, वह भारत के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक अग्रणी और लोकप्रिय गायक है।
अर्णव चक्रवर्ती एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार और प्रसिद्ध सरोद वादक हैं।
सरोद को एक गहरी, भारी, आत्मनिरीक्षण ध्वनि के लिए जाना जाता है।
मंजरी चतुर्वेदी भारत की एक लोकप्रिय सूफी कथक नर्तक है। वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य को एक नई कला बनाने के लिए जानी जाती है जो सूफी कथक है। मंजरी चतुर्वेदी ग्वालियर घराने से लेकर शाही दरबारों की परंपराओं तक के गीत और कहानियां प्रस्तुत करती हैं। वे गीत जो वास्तव में शाही दरबारों में गाए जाते थे।
मीता पंडित ग्वालियर घराने के पंडित परिवार की छठी अखंड वंशावली। एक ऐसा परिवार जिसने 200 से अधिक वर्षों से शास्त्रीय संगीत को जीवित रखा है, वह भारत के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक अग्रणी और लोकप्रिय गायक है।
आयोजन के दूसरे दिन 23 अक्तूबर को पं. विद्याधर व्यास द्वारा गायन व इसके पश्चात् सुनंदा शर्मा व राजेंद्र प्रसन्ना द्वारा गायन व बांसुरी की जुगलबंदी की प्रस्तुति होगी।
आयोजन के अंतिम दिन 24 अक्तूबर को अभय सोपोरी द्वारा संतूर वादन तथा वारसी भाईयों नसीर अहमद वारसी व नजीर अहमद वारसी द्वारा पारम्परिक राग में नातिया कव्वाली की प्रस्तुति होगी।
इस अवसर पर विधायक नीरज नैयर, निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग डॉ पंकज ललित, संयुक्त निदेशक मंजीत शर्मा, सहायक सचिव ओशिन शर्मा, उपनिदेशक अलका कैंथला, अनुसंधान सहायक संतोष कुमार, जसविंदर सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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