न्यास के संचालन में नियमों का सख्ती से पालन करें –  उपायुक्त 

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जिला में विभिन्न न्यासों की समीक्षा बैठक उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में शुक्रवार संपन्न हुई।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने जानकारी देते हुए कहा कि न्यासों में समय समय पर बैठकें आयोजित करते रहें और भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के तहत नियमों का पालन सख्ती से करें । ताकि न्यास के संचालन में तीव्रता आ सके। उन्होंने कहा भारतीय न्यास अधिनियम 1882 की धारा 34 के तहत  न्यास-सम्पत्ति को प्रबंध में राय लेने के लिए न्यायालय से आवेदन करने का अधिकार है। इसके अनुसार  कोई भी न्यासी आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय की राय, सलाह, या निदेश किन्हीं ऐसे ब्यौरे, कठिनाई या महत्व के प्रश्नों से, जो न्यायालय की राय में संक्षिप्त निपटारे के लिए उचित न हों, भिन्न किसी भी ऐसे वर्तमान प्रश्न की बाबत, जो न्यास-सम्पत्ति के प्रबंध या प्रशासन के बारे में हो, लेने के लिए आवेदन, वाद संस्थित किए बिना, उस न्यायालय से अर्जी द्वारा कर सकेगा ।
ऐसी अर्जी की प्रति की तामील आवेदन में हितबद्ध व्यक्तियों में से उन पर की जाएगी और उसकी सुनवाई में वे हाजिर रह सकेंगे जिन्हें न्यायालय ठीक समझे ।
उस न्यासी के बारे में, जो ऐसी अर्जी में तथ्यों का कथन सद्भावपूर्वक करे, और न्यायालय द्वारा दी गई राय, सलाह या निदेश पर कार्य करे। जहां तक स्वयं उसके उत्तरदायित्व का संबंध है। यह समझा जाएगा कि आवेदन की विषयवस्तु के प्रति उसने ऐसे न्यासी के तौर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर दिया है। इस धारा के अधीन हर आवेदन का खर्च उस न्यायालय के विवेकाधीन होगा जिससे वह किया गया हो ।
वहीं  अधिनियम की धारा  73 के अनुसार न्यासी की मृत्यु, आदि होने पर नए न्यासी की नियुक्ति का प्रावधान है।  जब कभी वह व्यक्ति, जो न्यासी नियुक्त किया गया हो इन्कार कर दे, या कोई मूल अथवा प्रतिस्थापित न्यासी मर जाए या लगातार छह मास की कालावधि तक । [भारत] से अनुपस्थित रहे या विदेश में निवास करने के प्रयोजन से ‘[भारत] छोड़ दे, या दिवालिया घोषित कर दिया जाए, या न्यास से उन्मोचित किए जाने की वांछा करे या न्यास में कार्य करने से इनकार कर दे या आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय की राय में न्यास में कार्य करने के लिए अयोग्य या वैयक्तिक रूप से असमर्थ हो जाए या कोई असंगत न्यास प्रतिगृहीत कर ले, तब उसके स्थान में नए न्यासी की नियुक्ति की जा सकती है।
धारा 73 (क) उस व्यक्ति द्वारा की जा सकेगी जो कि न्यास की लिखत (यदि कोई हो) द्वारा इस प्रयोजन के लिए नामनिर्दिष्ट हो।  (ख) के तहत  यदि ऐसा कोई व्यक्ति न हो या ऐसा कोई व्यक्ति कार्य करने के लिए योग्य और रजामन्द न हो तो, यदि न्यासकर्ता जीवित और संविदा करने के लिए सक्षम हो तो उसके द्वारा, या तत्समय उत्तरजीवी या बने रहने वाले न्यासियों या न्यासी द्वारा, या अन्तिम उत्तरजीवी और बने रहने बाले न्यासी के विधिक प्रतिनिधि द्वारा, या यदि सब न्यासी एक समय पर ही निवृत्त हो रहे हों तो (न्यायालय की सम्मति से) उन सब के द्वारा, या अन्तिम निवृत्त होने वाले न्यासी द्वारा (वैसी ही सम्मति से) की जा सकेगी।
ऐसी हर नियुक्ति उसे करने वाले व्यक्ति के अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा की जाएगी। नए न्यासी की नियुक्ति के समय न्यासियों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।
जहां कि केवल एक न्यासी नियुक्त किया जाना हो और ऐसा न्यासी एकमात्र न्यासी होना हो, वहां शासकीय न्यासी, अपनी सम्मति से और न्यायालय के आदेश द्वारा, इस धारा के अधीन नियुक्त किया जा सकेगा।
इस धारा के उन उपबन्धों के अन्तर्गत, जो उस न्यासी के सम्बन्ध में हैं जो मर गया हो. उस व्यक्ति का मामला आता है जो विल में नामनिर्दिष्ट न्यासी तो हो किन्तु वसीयतकर्ता के पहले मर जाए, और जो उपबन्ध बने रहने वाले न्यासी के सम्बन्ध में हैं उनके अन्तर्गत इन्कार करने वाला या निवृत्त होने वाला न्यासी आता है, यदि वह उस शक्ति के निष्पादन में कार्य करने के लिए रजामन्द हो।
धारा 74. न्यायालय द्वारा नियुक्ति जब कभी भी ऐसी कोई रिक्ति या निरर्हता हो जाती है और धारा 73 के अधीन नया न्यासी नियुक्त करना असाध्य पाया जाता है। तब हिताधिकारी आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय से न्यासी की या नए न्यासी की नियुक्ति करने के लिए आवेदन, वाद संस्थित किए बिना, अर्जी द्वारा कर सकेगा और न्यायालय न्यासी या नए न्यासी की नियुक्ति तदनुसार कर सकेगा।
नए न्यासियों का वरण करने के लिए नियम नए न्यासियों की नियुक्ति करने में न्यायालय (क) न्यासकर्ता की उन इच्छाओं का, जो न्यास की लिखत में अभिव्यक्त की गई हों या उससे अनुमित की जानी हो, (ख) नए न्यासी नियुक्त करने के लिए सशक्त व्यक्ति की, यदि कोई हो, इच्छाओं का, (ग) इस प्रश्न का कि नई नियुक्ति न्यास का निष्पादन अग्रसर करेगी या उसमें अड़चन डालेगी, और जहां कि एक से अधिक हिताधिकारी हों, वहां ऐसे सभी हिताधिकारियों के हितों का, ध्यान रखेगा।
इस अवसर पर अतिरिक्त दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा, उप मंडलाधिकारी शहरी भानु गुप्ता, जिला राजस्व अधिकारी संजीव शर्मा, तहसीलदार ग्रामीण ऋषभ शर्मा सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।
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