स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने वाले हो जाएं सावधान! रिसर्च में हुआ खौफनाक खुलासा, जानकर उड़ जाएंगे होश!

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स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने वाले हो जाएं सावधान! रिसर्च में हुआ खौफनाक खुलासा, जानकर उड़ जाएंगे होश! आ ज के समय में मोबाइल हमारी जरूरत बन गया है। बहुत से ऐसे काम हैं जो मोबाइल के बिना संभव नहीं हो पाते हैं। अब मोबाइल में कई तरह के लेटेस्ट फीचर्स आने लगे हैं। इनकी वजह से हमारे बहुत से काम आसान हो गए हैं।इसके साथ ही मोबाइल लोगों के मनोरंजन का बड़ा साधन भी बन गया है। ऐसे में लोग मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं। यहां तक की कई लोग तो देर रात तक बिस्तर पर लेटे लेटे मोबाइल चलाते रहते हैं। कई लोग घंटों तक मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। वहीं कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हो चुका है कि मोबाइल के बहुत से साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। मोबाइल आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। अगर आप भी स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताते हैं तो सावधान हो जाइए। एक नई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हाल ही में सैपिएन लैब्स ने एक नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में एक खौफनाक खुलासा हुआ है।

मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर
Sapien Labs ने स्मार्टफोन पर एक रिसर्च की। इस रिसर्च में लैब ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिसर्च में पता चला कि 18 से 24 साल के युवाओं के बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य की एक बड़ी वजह स्मार्टफोन का इस्तेमाल हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, जब पहले इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं होता था तो 18 साल के होने तक लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ 15 हजार से 18 हजार घंटे बिता चुके होते थे। अब ये समय कम होकर 1,500 से 5 हजार घंटे हो गया है। ऐसे में मोबाइल की वजह से अपने परिवार और दोस्तों से मेल जोल कम हो गया है।


सुसाइड के विचार
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिसर्च के वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि जो लोग स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनके मन में आत्महत्या के ख्याल आने लगते हैं। Sapien Labs के प्रमुख वैज्ञानिक तारा थिआगराजन का कहना है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल लोगों में इतना बढ़ गया है कि इसके चलते लोग आपस में बातचीत करना भूल चुके हैं। जब लोग आपस में मिलते नहीं हैं, तो वो चेहरे के भावों को पढ़ने में, शरीर के हाव-भाव को समझने में, लोगों की भावनाओं पर ध्यान देने में और असल जिंदगी में परेशानियों को सुलझाने में सक्षम नहीं होते हैं। इसी वजह है वे समाज से जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते हैं और उनके मन में आत्मत्या जैसे ख्याल आते हैं।

इकट्ठा किया 34 देशों का डेटा
रिपोर्ट के अनुसार, इस रिसर्च में कुल 34 देशों से डेटा इकट्ठा किया गया। इसमें देखा गया है कि स्मार्टफोन्स पर लोगों की निर्भरता 2010 से ही शुरू हो गई थी। बता दें के पहले भी कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी हैं कि स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों को आंखों में परेशानी सहित कई अन्य तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही स्मार्टफोन के रेडिएशन भी लोगों को नुकसान होता है। ऐसे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल उतना ही करना चाहिए जितनी जरूरत हो।

http://dhunt.in/CWIPf?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “Catch News”

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