भारत को लेकर अमेरिका के महत्वपूर्ण फैसले पर नाराज पाकिस्तान, बाइडेन से की बड़ी अपील

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भारत को लेकर अमेरिका के महत्वपूर्ण फैसले पर नाराज पाकिस्तान, बाइडेन से की बड़ी अपील।भारत को लेकर अमेरिका के एक महत्वपूर्ण फैसले पर पाकिस्तान ने नाराजगी जताई है और पाकिस्तान ने अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर लिए गये फैसले को निराशाजनक बताया है।

पाकिस्तान ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर Country of Particular Concern की श्रेणी में पाकिस्तान को रखने और भारत को लिस्ट से बाहर रखने को “जमीनी वास्तविकताओं से अलग” बताया है और सूची से भारत को बाहर करने पर चिंता व्यक्त की है।

पाकिस्तान ने जताई नाराजगी

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान कहा कि, “मैं अब अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा पाकिस्तान को एकतरफा और मनमाने ढंग से विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) की लिस्ट में रखने पर पाकिस्तान की गहरी चिंता और निराशा व्यक्त करना चाहूंगी”। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, पाकिस्तान में “अंतर-विश्वास सद्भाव की समृद्ध परंपरा के साथ बहु-धार्मिक और बहुलवादी समाज” है। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी दी गई है और इसे विधायी, नीति और प्रशासनिक उपायों की एक सीरिज के जरिए लागू किया गया है।

पाकिस्तान को क्यों लगी मिर्ची?
दरअसल, अमेरिका ने जो धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र को लेकर जो नई लिस्ट जारी की है, उसमें भारत को शामिल नहीं किया गया है। वही, अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को ‘महान और विविध आस्थाओं से भरा देश’ बताया है, लिहाजा पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है। क्योंकि पाकिस्तान उस लिस्ट में शामिल है, जहां ना तो लोकतंत्र नाम की कोई चीज है और ना ही धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर सुरक्षा। भारत को लिस्ट से बाहर रखने पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि, “हमने गहरी चिंता और निराशा के साथ यह भी नोट किया है, कि भारत, धार्मिक स्वतंत्रता का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता, एक बार फिर अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) द्वारा स्पष्ट सिफारिश के बावजूद विदेश विभाग की सूची में शामिल नहीं किया गया है।”

अमेरिका ने भारत पर क्या कहा?
पत्रकारों को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, “बेशक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह विश्वासों की एक महान विविधता का घर है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर हमारी वार्षिक रिपोर्ट में कुछ चिंताओं को रेखांकित किया गया है, जिन पर हमने ध्यान दिया है और जब भारत की बात आती है तो हम सावधानीपूर्वक निगरानी करते हैं और भारत के अलावा भी हम सभी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखते हैं और इसमें भारत भी शामिल है।” नेड प्राइस ने कहा कि, “हम भारत सरकार को सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे।”

अमेरिकी लिस्ट में कौन कौन शामिल?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा है कि, “आखिरकार, मैं अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथि, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस-पश्चिम अफ्रीका, जमात नुसरत अल को नामित कर रहा हूं। इस्लाम वाल-मुस्लिमिन, तालिबान, और वैगनर समूह, जो मध्य अफ्रीकी गणराज्य में सक्रिय हैं, वो विशेष चिंता वाली लिस्ट में शामिल हैं।” अमेरिकी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि, क्यूबा और निकारागुआ को “विशेष चिंता” वाले देशों की सूची में जोड़ा गया है और चीन, रूस, ईरान, बर्मा, इरिट्रिया, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान इस सूची में बने हुए हैं”। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि, “मैं अल्जीरिया, कोमोरोस और वियतनाम को भी धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या सहन करने के लिए विशेष निगरानी सूची में डाल रहा हूं”।

Source : “OneIndia”

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