UN में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए ब्रिटेन ने दिया समर्थन, विदेश मंत्री ने की PM मोदी की तारीफ। ब्रीटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने सोमवार को कहा कि हम चाहते हैं कि ब्राजील, जापान, जर्मनी और अफ्रीकी प्रतिनिधित्व के साथ भारत भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नए स्थायी सदस्यों में शामिल हो।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सरकार में पदभार ग्रहण करने के बाद से विदेश नीति संबंधी अपने पहले प्रमुख भाषण में जेम्स क्लेवरली ने यह बात कही. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को स्पष्ट रूप से युद्ध-विरोधी संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की.
ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने जी-20 समूह की अध्यक्षता के दौरान भारत के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्धता भी जताई. लंदन में विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) में ‘ब्रिटिश विदेश नीति और कूटनीति’ शीर्षक से अपने मुख्य भाषण में जेम्स क्लेवरली ने कहा कि ब्रिटेन स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में ब्राजील, भारत, जापान और जर्मनी का स्वागत करना चाहता है. हमारा उद्देश्य एक ऐतिहासिक साझा उपलब्धि को बनाए रखना है जिससे सभी को लाभ हो.
फ्रांस भी दे चुका समर्थन
यूएन में फ्रांस की उप प्रतिनिधि नथाली ब्रॉडहर्स्ट एस्टीवल ने भी 18 नवंबर को सुरक्षा परिषद में सुधार पर यूएनएससी की वार्षिक बहस को संबोधित करते हुए कहा था कि फ्रांस स्थायी सदस्यों के रूप में जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान की उम्मीदवारी का समर्थन करता है. उन्होंने कहा था कि फ्रांस परिषद के स्थायी सदस्यों अफ्रीकी देशों से ज्यादा प्रतिनिदित्व चाहता है, क्योंकि भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कई सीटों को बांटा जाना जरुरी है.
सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौजूदा समय में पांच स्थायी सदस्य हैं. इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. वैश्विक आबादी, अर्थव्यवस्था और नई भू राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए काफी समय से स्थायी सदस्य देशों की संख्या बढ़ाने को लेकर मांग की जाती रही है. वहीं भारत भी काफी समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग करता रहा है. वहीं अब कई यूरोपीय देशों ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है.
Source : “TV9 Bharatvarsh”
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