जिला ऊना में मछली पालन की आपार संभावनाएं

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ऊना – किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पशु पालन के साथ-साथ मत्स्य पालन को बढ़ाना देने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है ताकि मछली पालन व्यवसाय से किसानों/मत्स्य पालकों को आर्थिक लाभ मिल सके। जिला ऊना में मछली पालन व्यवसाय की आपार संभावनाएं है जिसे जिला के लोगों के लिए मछली पालन का व्यवसाय काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है। खेती करने वाले किसान भी मत्स्य पालन व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक को सुदृढ़ करके आत्मनिर्भर बन रहे है।

जिला ऊना के बंगाणा ब्लॉक के गांव चौकी मन्यिार की रेशमा देवी ने मछली पालन व्यवसाय को अपनाकर अपने और अपने परिवार के स्वरोजगार के साधन सृजित किए।

रेशमा देवी ने बताती हैं कि वह परिवार का पालन पोषण करने के लिए सिलाई का काम और पति खेतीबाड़ी का काम करते थे। उन्होंन कहा कि सिलाई और खेतीबाड़ी के कार्य से घर का खर्च चलाना मुश्किल होता था। उन्होंने परिवारिक आय को बढ़ाने के लिए कुछ नया करने के बारे में सोचा। गांव में उनके पास पर्याप्त मात्रा में जमीन होने के चलते उन्होंने मछली पालन व्यवसाय को शुरू करने का मन बनाया जिसके लिए उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ सम्पर्क किया। रेशमा देवी ने बताया कि मत्स्य विभाग के अधिकारियांे ने उन्हें मछली पालन व्यवसाय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी तथा बताया कि सरकार द्वारा भी मछली पालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।

रेशमा देवी वर्ष ने वर्ष 2018-19 में 600 वर्ग मीटर के छोटे यूनिट में मछली पालन का कार्य आरंभ किया। इस यूनिट से मछली का अच्छा उत्पादन हुआ। इसी को मध्यनज़र रखते हुए उन्होंने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत एक हज़ार वर्ग मीटर में बायोफ्लॉक(तालाब) बनाने के लिए आवेदन किया। एक हज़ार वर्ग मीटर वाले बायोफ्लॉक(तालाब) की कुल लागत 14 लाख रूपये थी। इस बायोफ्लॉक को तैयार करने के लिए रेशमा देवी को विभाग की ओर से 60 प्रतिशत यानि 8.40 लाख रूपये की राशि उपदान के रूप में मिली तथा शेष 40 प्रतिशत राशि खुद व्यय की।

रेशमा देवी ने बताया कि इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उनके पति उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष उन्होंने तालाब में कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला था जिससे उन्हें 7 टन मछली का उत्पादन हुआ और 10 लाख रूपये की आय अर्जित की। रेशमा देवी के पति सुभाष चंद ने बताया कि वर्तमान में भी ट्राउट, कत्तला सहित कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला है। उन्होंने बताया कि चार से छः माह के अंतराल में ही तालाब में डाली गई मछलियां लगभग 300 से 500 ग्राम वजन तक पहुंच चुकी है।

रेशमा देवी और सुभाष चंद ने बेरोजगार/शिक्षित युवाओं से आग्रह किया कि वे भी सरकार के माध्यम से पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र में संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ लेकर अपने लिए स्वरोजगार के साधन सृजित कर सकते हैं।

वर्तमान में जिला से 315 लोगों ने अपनाया मछली पालन व्यवसाय

सहायक निदेशक मत्स्य विवेक शर्मा ने बताया कि रेशमा देवी को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तालाब बनाने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि एससी वर्ग और महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत तथ सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत की दर से अनुदान राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक तालाब सघन मछली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। जबकि 1 हज़ार वर्ग मीटर के कच्चे तालाब में मुश्किल से केवल 10 क्विंटल तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है। लेकिन बायोफ्लॉक तालाब से प्रतिवर्ष लगभग 10 टन मछली का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय के उपरांत मछली उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जा रहे पानी को बदलना पड़ता है। क्योंकि मछली के मल-मूत्र से पानी खराब हो जाता है। लेकिन इस पानी को किसान अपने खेतों में प्रयोग कर सकते हैं जोकि एक खाद का कार्य करता है। उन्होंने बताया कि खेतों में सिंचाई के लिए आम पानी की खपत ज्यादा होता है जबकि मछली पालन के प्रयोग में लाए गए पानी की खपत कम होती है और ज्यादा समय तक खेतों में टिका रहता है और फसलों का उत्पादन भी ज्यादा होता है।

उन्होंने किसानों से आहवान करते हुए कहा कि जो भी किसान मछली पालन व्यवसाय को अपनाना चाहता है तो वह सरकार योजनाओं के तहत लाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसानों को मछली पालन के लिए मछली के बच्चें और फीड की आवश्यकता हो तो वह विभाग के सरकारी मछली फार्म दियोली जोकि गगरेट उपमंडल में स्थित है वहां से सरकार दामों पर आसानी से खरीद सकते हैं।

विवेक शर्मा ने बताया कि वर्तमान में जिला ऊना से 315 किसान मछली पालन व्यवसाय से जुड़कर अच्छा लाभ लेने के साथ-साथ खेतों से भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिला में लगभग 6 हैक्टेयर भूमि पर नए मत्स्य पालन के लिए नए तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया यदि किसान कच्च तालाब का निर्माण करना चाहता है तो वह मत्स्य विभाग के मंडल कार्यालयों में आवेदन करके सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकता है। उन्होंने बताया कि दियोली में मत्स्य फीड मील भी स्थापित की जा रही है जोकि मत्स्य पालकों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगी।

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