Mother’s Milk Bank: हिमाचल में बनेगा मां के दूध का पहला बैंक, नैरचौक मेडिकल कॉलेज में मिलेगी सुविधा। हिमाचल में मां के दूध का पहला बैंक बनेगा। इसके माध्यम से शारीरिक अक्षमता के चलते जिन माताओं में दूध की कमी होगी, अस्पताल में उनके नवजात के लिए प्रदेश सरकार मां का दूध उपलब्ध कराएगी।
सरकार जिला मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में स्तनपान प्रबंधन बैंक (लेक्टेशन) स्थापित करने जा रही है। इसमें उन माताओं का अतिरिक्त दूध सुरक्षित रखा जाएगा जो नवजात को स्तनपान कराने के बाद बचेगा। स्वास्थ्य विभाग इस योजना को नेशनल हेल्थ मिशन के तहत सिरे चढ़ाएगा। बैंक में स्थापित की जाने वाली मशीनरियों पर डेढ़ करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। हिमाचल में यह पहला स्तनपान प्रबंधन बैंक होगा।
इस योजना के सिरे चढ़ने के बाद अन्य अस्पतालों में भी यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बैंक में दूध को माइनस 20 डिग्री तापमान में रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मां के दूध का बैंक बनाने का उद्देश्य ऐसे बच्चों को मां का दूध उपलब्ध करवाना है, जिनकी मां उन्हें किसी शारीरिक अक्षमता के चलते स्तनपान नहीं करवा पाती। कई मामलों में प्रसव के उपरांत महिलाओं को दूध नहीं आता या कम आता है। ऐसी स्थिति में नवजात शिशु स्तनपान से वंचित रह जाता है। जन्म के समय महिला की मृत्यु होने पर भी ऐसे दुग्ध बैंक नवजात शिशुओं के लिए बहुत उपयोगी होंगे। गंभीर बीमारी के कारण भी मां अपने बच्चे को स्तनपान कराने से वंचित रह जाती है। बच्चों को मां का दूध मिलने पर उन्हें बीमारियों से बचाया जा सकेगा। पंप से माताओं के दूध को स्टोर किया जाएगा। सचिवालय में शुक्रवार को आयोजित बैठक में इस मामले पर विस्तृत चर्चा हुई है। प्रदेश सरकार ने आचार संहिता खत्म होने के बाद इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने की बात कही है।
हिमाचल के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में पहला स्तनपान प्रबंधन बैंक (लेक्टेशन) खोला जा रहा है। इसकी तैयारियां पूरी कर ली है। इसके स्थापित होने से नवजात को माताओं का दूध उपलब्ध कराया जाएगा। – सुभाशीष पंडा, प्रधान सचिव स्वास्थ्य, हिमाचल प्रदेश
Source : “अमर उजाला”
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