स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीणपवार ने कहा है कि देश ने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) मेंएक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त कर ली है। वर्ष 2014 से2016 के दौरान 130 प्रति लाख जीवित जन्म के मुकाबलेवर्ष 2018 से 2020 में 97 प्रति लाख जीवित जन्म मेंमहत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की है। उन्होंने कहा कि यह हमाराकर्तव्य है कि हम विशेष रूप से क्षेत्र स्तर पर इस दिशा मेंआने वाली सभी बाधाओं को दूर करें। स्तर सुनिश्चित करनेके लिए कि हर मां की देखभाल की जाती है और इसकेपरिणामस्वरूप शून्य रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु सुनिश्चितहोती है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय मातृस्वास्थ्य कार्यशाला की अध्यक्षता की। मातृ मृत्यु दर मेंकमी के लिए ‘सतत विकास लक्ष्य एजेंडा 2030’ के साथश्रेणीबद्ध करते हुए कार्यशाला का विषय “शून्य निवारणीयमातृ मृत्यु दर के लिए प्रयास” था।
डॉ. पवार ने कहा कि “भारत मातृ स्वास्थ्य और बालस्वास्थ्य परिणामों के लिए एक सकारात्मक प्रसार के मार्गपर है और भारत सरकार नई चुनौतियों का सामना करने केलिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में मातृत्व धारण करने वालीअपनी सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चितकरने के साथ-साथ सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदानकरने की दिशा में कदम उठा रही है। इससे पहले, भारत में44,000 से अधिक माताओं मृत्यु हो रही थी। “प्रधानमंत्रीसुरक्षित मातृत्व अभियान” के कार्यान्वयन के अंतर्गतप्रत्येक डॉक्टर इस अभियान के लिए प्रति माह एक दिनकी सेवा का वचन देते हैं, 3.6 करोड़ से अधिक गर्भवतीमहिलाओं को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसकार्यक्रम के अंतर्गत व्यापक एएनसी प्राप्त हुई है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने सभी को सूचित किया कि“एमएमआर गिरावट 2014-16 में 130 से बढ़कर 2018-20 में 97 प्रति लाख जीवित जन्म हो गई है। सतत विकासलक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त करने वाले राज्यों की संख्या भीअब छह से बढ़कर आठ हो गई है। उन्होंने आगे कहा, “एमएमआर में तेजी से गिरावट स्वास्थ्य पहलों में निवेशऔर बदले में सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने केलिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्वमें सरकार के समर्पण को प्रदर्शित करती है।”
डॉ. पवार ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य मेट्रिक्स के मामले मेंदेश की उपलब्धियों के लिए सभी को बधाई दी। अपने क्षेत्रस्तर के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने सभी बाधाओंको दूर करने और विशेषज्ञ दिशानिर्देशों और सर्वोत्तमप्रथाओं के कुशल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने पर बलदिया। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि “यह केवल सरकार, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनोंऔर नागरिक समाज का दायित्व ही नहीं है, बल्कि देश कीप्रत्येक महिला को सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करना औरभारत में शून्य रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु दर की दिशा मेंकाम करना अपना कर्तव्य समझना चाहिए।”
उन्होंने शासन के विभिन्न स्तरों पर मजबूत राज्य निगरानीऔर ऑडिटिंग, चिकित्सा कर्मचारियों की क्षमता निर्माणऔर सटीक सूचना वितरण पर बल दिया। उन्होंने यह भीआग्रह किया कि सर्वोत्तम प्रथाओं पर नियमित रूप से चर्चाऔर जानकारी साझा की जानी चाहिए। कोविड महामारीके दौरान प्रौद्योगिकी के तेजी से अनुकूलन का उदाहरण देतेहुए डॉ. पवार ने कहा कि सभी के लिए समग्र स्वास्थ्य सेवाप्राप्त करने के हमारे प्रयास में ई-संजीवनी के माध्यम सेटेली-परामर्श जैसी प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयासों को लागूकिया जा सकता है।
डॉ. पवार ने आयोजन के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्यसुविधाओं में जन्म के आसपास देखभाल की गुणवत्ता कोसक्षम करने के लिए लेबर रूम के लिए मिडवाइफरी-लेडकेयर यूनिट्स (एमएलसीयूएस) ब्रोशर और स्टैंडर्डऑपरेटिंग प्रोटोकॉल पोस्टर का अनावरण किया। उन्होंनेसामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) के लिए मातृस्वास्थ्य मार्गदर्शन पुस्तिका और सुमन कम्युनिटी लिंकेजब्रोशर भी प्रस्तुत किया। कई दृश्य-श्रव्य फिल्में जैसे “एनओडिसी ऑफ मैटरनल हेल्थ इन इंडिया”, “मिडवाइफरीइनिशिएटिव: प्रमोशनल वीडियो” पर दृश्य-श्रव्य फिल्म, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को इस कार्यक्रम मेंप्रदर्शित किया गया।
कई राज्यों को मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीयप्रयासों और उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। येहैं:
- एमएमआर को कम करने के लिए गहन प्रयास: पहला स्थान: केरल और दूसरा महाराष्ट्र
- एनएफएचएस-5 के अनुसार प्रदर्शन: प्रसवपूर्वदेखभाल सेवाएं और संस्थागत प्रसव
- 4 एएनसी सेवाओं में
- पहला स्थान- मध्य प्रदेश; दूसरास्थान राजस्थान
- बड़े राज्यों में संस्थागत प्रसव में वृद्धि-
- 4 एएनसी सेवाओं में
- पहला स्थान पश्चिम बंगाल; दूसरा स्थान उत्तरप्रदेश
- सुमन का रोल आउट:
- बड़े राज्य श्रेणी में उच्चतम सुमन अधिसूचना
- पहला स्थान- पंजाब; दूसरा स्थान- तमिलनाडु
- छोटे राज्य श्रेणी में उच्चतम सुमनअधिसूचना
- पहला स्थान – गोवा; दूसरा स्थान- त्रिपुरा
- बड़े राज्य श्रेणी में उच्चतम सुमन अधिसूचना
- लक्ष्य के तहत गुणवत्ता प्रमाणन:
- बड़े राज्य की श्रेणी में कर्नाटक ने पहलास्थान हासिल किया।
- छोटे राज्य की श्रेणी में चंडीगढ़ विजेता रहा।
- प्रमाणपत्रों की पूर्ण संख्या में, मध्य प्रदेशप्रथम स्थान रखता है।
- गुजरात ने सबसे अधिक मेडिकल कॉलेजोंके पुरस्कार वाले राज्य को जीता।
- पीएमएसएमए के तहत उच्च जोखिम गर्भावस्थाप्रबंधन
- तमिलनाडु सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालाराज्य था।
- मणिपुर को विस्तारित पीएमएसएमए केतेजी से रोलआउट के लिए प्रथम पुरस्कारमिला।
- अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के बीच टीमवर्क कोमजबूत करते हुए, सर्वश्रेष्ठ एएनएम-आशाकार्यकर्ता टीमें उत्तर प्रदेश राज्य में गईं।
- दाई के काम की पहल: सबसे अच्छा प्रदर्शन करनेवाला राज्य तेलंगाना था।
सुश्री रोली सिंह, एएस एंड एमडी (एनएचएम) ने कहा किएमएमआर में तेजी से गिरावट सरकार के मजबूतदृष्टिकोण, राजनीतिक प्रतिबद्धता, अच्छी तरह से डिजाइनकी गई नीतियों, हमारे हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासोंऔर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में महत्वपूर्ण निवेश के कारणहुई है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके), जननीसुरक्षा योजना (जेएसवाई), सुरक्षित मातृत्व आश्वासन’ (सुमन) आदि जैसी मौजूदा योजनाओं के साथ लेबर रूमक्वालिटी इम्प्रूवमेंट इनिशिएटिव (लक्ष्य) जैसी विभिन्नपहलें महिलाओं के लिए एक उत्तरदायी स्वास्थ्य का निर्माणकर रही हैं जो देखभाल प्रणाली जो शून्य रोकथाम योग्यमातृ और नवजात मृत्यु को प्राप्त करने का प्रयास करतीहै।
डॉ. पी. अशोक बाबू, संयुक्त सचिव (आरसीएच), डॉ. एस.के. सिकदर, सलाहकार (एफपी और एमएच), डॉ. पद्मिनीकश्यप, उपायुक्त, एमएच सहित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न विकास भागीदारों केप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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