Himachal Cabinet: एक अनार सौ बीमार, इसलिए नहीं हो पा रहा कैबिनेट का विस्तार।गुजरात में बुरी हार के बावजूद हिमाचल में बहुमत पाने में सफल रही कांग्रेस मुख्यमंत्री के तमाम दावेदारों के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू को बमुश्किल मुख्यमंत्री बनाने में तो सफल रही लेकिन मंत्रिमंडल का गठन करने में अभी तक सफल नहीं हो सकी है।
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के बीच खींचतान मची थी। सुखविंदर सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री पद देकर और प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य को सुक्खू कैबिनेट में जगह देने का वादा करके संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है।
किंतु मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के शपथ ग्रहण के 11 दिन बाद भी अपनी कैबिनेट का गठन नहीं कर पा रहे हैं। अपने शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि पार्टी में मंत्री बनने को लेकर कोई खींचतान नहीं है और 48 घंटे के भीतर कैबिनेट का गठन कर दिया जाएगा। लेकिन तमाम दावेदारों और दबावों के कारण सुक्खू अभी तक मंत्रिमंडल का गठन करने में सफल नहीं हो सके हैं।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार से दूर रहे राहुल गांधी मंत्रिमंडल के गठन में भी कोई भूमिका नहीं निभा रहे हैं। टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार की कमान संभालने वाली प्रियंका गांधी आज भी हिमाचल प्रदेश को संभाल रही है। हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला मंत्रिमंडल के गठन को लेकर दो बार प्रियंका गांधी से मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिह सुक्खू और मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार रही प्रतिभा सिंह ने भी दिल्ली में प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात कर अपनी अपनी सूची सौंपी है। विधायक भी दिल्ली में डेरा डालकर मंत्री बनने के लिए अपने संपर्को का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन तमाम दावेदारों और नेताओं की सिफारिशों के बीच हाईकमान अभी तक मंत्रिमंडल को अंतिम रूप देने में असफल रहा है।
इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कोरोना पाजीटिव होने के बाद फिलहाल खुद को तमाम बैठकों और मंत्रिमंडल के गठन के लिए होने वाली दौड़भाग से दूर कर लिया है। मुख्यमंत्री के कोरोना पाजीटिव होने के कारण मंत्रिमंडल का विस्तार इस साल के अंत तक टल सकता है।
कांग्रेस के चुने हुए विधायकों में जिस तरह मंत्री पद के लिए लॉबिंग और प्रदेश के बड़े नेताओं में जिस तरह की खींचतान चल रही है, उसने मंत्रिमंडल गठन के काम को और मुश्किल कर दिया है। उपमुख्यमंत्री बनने से चूके धनीराम शांडिल्य जैसे नेता हर हाल में सरकार में शामिल होना चाहते हैं। तमाम दावेदारों के बीच मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेतृत्व के लिए समस्या यह भी है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद अब अधिकतम 10 मंत्री बन सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व तमाम दावेदारों के बीच तय नहीं कर पा रहा है कि किसे मंत्री बनाए और किसे छोड़े। इसके अलावा कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री के सामने जातीय, क्षेत्रीय और गुटों के बीच संतुलन साधने की कठिन चुनौती भी है।
कैबिनेट विस्तार में सबसे बड़ा पेच शिमला जिले के कारण है। यह पेच सुखविंदर सुक्खू के करीबी रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह, हॉलीलॉज के मोहन लाल ब्राक्टा तथा सोनिया गांधी के खास ठियोग के विधायक एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर की वजह से माना जा रहा है, जबकि विक्रमादित्य सिंह का नाम लगभग तय है।
शिमला से 2 का मंत्री बनना तय है। यहां से अधिकतम 3 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जबकि यहां दावेदार 5 माने जा रहे हैं। सुखविंदर सुक्खू अब न तो अपने करीबी दोनों विधायकों को, न हॉली लॉज और न सोनिया गांधी के करीबी राठौर को नजरअंदाज कर पा रहे हैं।
इसी तरह कांगड़ा से अधिकतम 3 मंत्री तय माने जा रहे हैं। फिलहाल चंद्र कुमार और सुधीर शर्मा के मंत्रिमंडल में शामिल होने की प्रबल संभावना है। तीसरे मंत्री के रूप में संजय रत्न, केवल सिंह पठानिया, आशीष बुटेल में से भी किसी एक को मंत्री पद मिल सकता है। मुख्यमंत्री न बन पाने वाली मंडी की सांसद और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य का मंत्री बनना तय है। विक्रमादित्य को मंत्री बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। जिन विधायकों का नाम मंत्री पद के लिए चल रहा है उसमें चंबा जिले से कुलदीप पठानिया, सोलन से धनीराम शांडिल या संजय अवस्थी व राम कुमार में से एक, किन्नौर से जगत सिंह नेगी, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान, घुमारवीं से राजेश धर्माणी, हमीरपुर से राजेंद्र राणा, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर के नाम प्रमुख हैं।
हिमाचल में सुक्खू की कैबिनेट में किसे जगह मिलती है, अभी यह देखना बाकी है लेकिन एक बात तय है कि सुक्खू की सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं होगी। प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब कोई महिला मंत्री नहीं होगी। ऐसा इसलिए होगा क्योकि कांग्रेस से एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सकी। कांग्रेस ने प्रदेश विधानसभा चुनाव में 3 महिलाओं डलहोजी से आशा कुमारी, पच्छाद से दयाल प्यारी और मंडी से चंपा ठाकुर को टिकट दिया था और तीनों चुनाव हार गई। प्रदेश की 68 विधानसभा क्षेत्र में हुए विधानसभा चुनाव में से सिर्फ एक महिला पच्छाद से भाजपा की रीना कश्यप ने चुनाव जीता है।
कांग्रेस में कैबिनेट गठन को लेकर मची खींचतान पर हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा है कि ‘गुजरात में 72 घंटे में सरकार के गठन के साथ मंत्रियों को विभागों का बंटवारा भी हो गया। लेकिन हिमाचल जैसे छोटे प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी के कारण प्रदेश का नुकसान हो रहा है।’
कांग्रेस के सामने सुक्खू कैबिनेट में जगह न मिलने पर विधायकों के पाला बदलने से रोकने की भी चुनौती है। यह तय है कि मंत्री बनने से चुके विधायकों को भाजपा अपने पक्ष में करने और पार्टी से बगावत करवाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाएगी। ऐसे में कांग्रेस को अपने विधायकों को साध कर रखना आसान नहीं होगा। कांग्रेस हाईकमान के साथ साथ मुख्यमंत्री की कोशिश भी होगी कि सभी विधायकों को कुछ ना कुछ जिम्मेदारी देकर संतुष्ट किया जाए और प्रदेश में बगावत से बचा जाए।
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Source : “OneIndia”
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