HP High Court: अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन के समय प्रचलित नियम होंगे लागू, जानें हाईकोर्ट के पांच फैसले

Read Time:11 Minute, 22 Second

HP High Court: अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन के समय प्रचलित नियम होंगे लागू, जानें हाईकोर्ट के पांच फैसले। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से जुड़े मामले में अहम निर्णय सुनाया है। अदालत ने कहा कि अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन के समय प्रचलित नियम ही लागू होंगे।

न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने पुरानी पॉलिसी के तहत याचिकाकर्ता को शैक्षणिक योग्यता में छूट देने के दिए आदेश दिए हैं। अदालत ने विभाग के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसके तहत याचिकाकर्ता को शैक्षणिक योग्यता में छूट न देने का निर्णय लिया गया था। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता श्याम सिंह के पिता उद्योग विभाग में चौकीदार के पद पर सेवारत थे। वर्ष 2003 में उनकी मृत्यु सेवाकाल के दौरान हुई थी। याचिकाकर्ता ने अनुकंपा के आधार पर चतुर्थ श्रेणी के पद के लिए आवेदन किया। विभाग ने वर्ष 2017 तक कोई कार्रवाई नहीं की।

4 जून 2017 को विभाग ने याचिकाकर्ता को आवेदन से जुड़े कागज पूरे करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता ने सभी दस्तावेज विभाग को सौंपे। उसके बाद विभाग ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति की मंजूरी दे दी। 20 मार्च 2020 को विभाग ने याचिकाकर्ता को बताया कि चतुर्थ श्रेणी के लिए शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है। नई पॉलिसी के तहत शैक्षणिक योग्यता में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है। विभाग ने याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया। इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता के मामले में नई पॉलिसी के नियम लागू नहीं होते है। मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर अदालत ने पाया कि विभाग ने अपने स्तर पर ही याचिकाकर्ता को शैक्षणिक योग्यता में छूट देने से इंकार किया है। इस मामले को कभी भी सक्षम अधिकारी के पास नहीं भेजा गया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता को शैक्षणिक योग्यता में छूट न देने का निर्णय सक्षम अधिकारी का नहीं है।

अवैध खनन से जुड़े सभी मामलों पर सुनवाई 6 मार्च को
प्रदेशभर में अवैध खनन से जुड़े सभी मामलों पर सुनवाई 6 मार्च 2023 को निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट के समक्ष प्रदेश भर के 116 मामले अवैध खनन के लंबित हैं। इन मामलों पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने विशेष खंडपीठ का गठन किया है। इन मामलों को सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। बता दें कि वर्ष 2018 में प्रदेशभर में हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए राज्य ने संवेदनशील स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य शुरू किया था। अवैध खनन से संबंधित एक मामले में राज्य भू वैज्ञानिक ने शपथपत्र के माध्यम से प्रदेश हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी। अदालत को बताया गया था कि जिला सिरमौर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। जिला सोलन, ऊना, कांगड़ा (नूरपुर) में कार्य प्रगति पर है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि हिमाचल से बाहरी राज्यों के लिए भेजे जा रहे खनिज पदार्थों पर लगाम लगाने के लिए चेक पोस्ट को दुरुस्त करना होगा। हाईकोर्ट की ओर से समय-समय पर पारित आदेशों के बावजूद भी प्रदेश में अवैध खनन नहीं रुक रहा है। अवैध खनन की वजह से पर्यावरण के साथ साथ प्रदेश के राजस्व को भी भारी नुक्सान हो रहा है। अवैध खनन माफिया बिना फीस अदा किए कीमती खनिज पदार्थ को बर्बाद कर रहा है।

चरस में कथित आरोपी की जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिजप्रदेश हाईकोर्ट ने चरस में कथित आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कुल्लू निवासी दाबे राम ने अदालत से अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने की गुहार लगाई थी। 1.2 किलोग्राम चरस कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर सोलन पुलिस ने दाबे राम को चरस के मामले में नामित किया है। आरोपी के खिलाफ मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की धारा 20 और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है। 13 फरवरी 2022 को सोलन पुलिस ने सुबाथू रोड पर नाका लगाया था।

शाम के समय पुलिस ने आरोपी गोविंद राम को 1.2 किलोग्राम चरस के साथ पकड़ा था। जांच के दौरान गोविंद राम ने पुलिस को बताया कि उसने यह चरस कुल्लू निवासी दाबे राम से खरीदी है। पुलिस ने उसके घर जाकर पूछताछ की और पाया कि आरोपी दाबे राम घर से 10 किलोमीटर दूर मणिकर्ण की तरफ छिपा था। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि आरोपी 1.2 किलोग्राम चरस कारोबार में संलिप्त पाया गया है। इसे जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता अंतरिम जमानत पर रिहा होने का हक नहीं रखता है।

अवैध बिरोजा निकालने के मामले की सुनवाई टली सोलन जिला में निर्धारित मापदंडों के विरुद्ध बिरोजा निकालने के मामले में वन निगम की ओर से जवाब दायर नहीं किया गया। अदालत ने निगम को इसके लिए अतिरिक्त समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 4 मार्च 2023 को निर्धारित की है।जनहित में दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने राज्य सरकार और वन निगम से दो हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सोलन वन वृत्त में वन निगम के निर्धारित मापदंडों के विपरीत बिरोजा दोहन किया जा रहा है। दलील दी गई कि वर्ष 1975-76 में बिरोजा निकालने का काम वन निगम को दिया गया था। वर्ष 2020 में वन निगम ने नियम बनाया कि एक वन सेक्शन से 55 क्विंटल बिरोजा निकाला जाएगा।

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि वह 17 अगस्त 2022 को अपने बगीचे को जा रहा था तो रास्ते में उसने बिरोजा निकालने वाले मजदूर देखे। उनसे बातचीत पर पता चला कि इस बार निगम अधिक मात्रा में बिरोजा निकाल रहा है। मजदूरों ने याचिकाकर्ता को बताया कि इस बारे में वन निगम के निदेशक ने वन अरण्यपाल सोलन से पत्राचार किया है। अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने इस बारे में सूचना के अधिकार के तहत सूचना प्राप्त की। सूचना के अनुसार निगम ने वर्ष 2020 में एक वन सेक्शन से 55 क्विंटल बिरोजा निकालने का निर्णय लिया था। जबकि इसके लिए बनाए गए नियमों के अनुसार एक वन सेक्शन से सिर्फ 35 क्विंटल बिरोजा ही निकाला जा सकता है। आरोप लगाया गया है कि बिरोजा के अधिक दोहन से पेड़ सूखने की कागार पर है जिससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।

कुमारहट्टी के समीप मल्टी स्टोरी निर्माण मामले की सुनवाई 4 जनवरी कोहिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कुमारहट्टी के समीप मल्टी स्टोरी निर्माण मामले की सुनवाई 4 जनवरी निर्धारित की है। अदालत ने आठ मंजिल और 2500 वर्ग मीटर से अधिक निर्माण पर रोक लगा रखी है। खील-झलाशी गांव से कैंथरी गांव तक 6 किलोमीटर में सड़क के दोनों तरफ भवन निर्माण को याचिकाकर्ता कुसुम बाली ने चुनौती दी है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि खील-झलाशी गांव से कैंथरी गांव तक बड़े -बड़े भवनों का निर्माण किया गया है।

इसके लिए पहाड़ी को काटा गया है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि जान-माल का खतरा भी बना रहता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने 10 सदस्यीय हाई पावर कमेटी का गठन किया है। प्रधान सचिव टीसीपी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य अरण्यपाल, राजस्व सचिव, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, पर्यटन विभाग, टीसीपी के निदेशक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को इसका सदस्य बनाया गया है।

Source : “अमर उजाला”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post ओल्ड पेंशन पर सीएम का नया फार्मूला, अफसरों से चर्चा के बाद कल NPS कर्मचारी संघ के साथ होगी बैठक
Next post AAP से हारकर भी मेयर पद पर कब्जे की कोशिश में BJP, रेखा पर लगाया दांव; इकबाल के खिलाफ कमल
error: Content is protected !!