पतंजलि की नई दवा से धमनियों का ब्लॉकेज कैसे होगा दूर, पढ़ें आचार्य बालकृष्ण की रिसर्च ।
शनिवार को उन्होंने कहा, अब वो दिन दूर नहीं जब दुनियाभर में आयुर्वेद की दवाओं की खूबियों को माना जाएगा. बीमारी मुक्त समाज बनाने के लिए पतंजलि ने डिसलिपिडेमिया नाम की बीमारी का इलाज ढूंढने पर काम किया है. बालकृष्ण ने अपनी रिसर्च में इसका इलाज करने वाली दवा का जिक्र किया है. जल्द रिसर्च को अमेरिकी जर्नल में पब्लिश होने के लिए भेजा जाएगा.
उनका दावा है कि रिसर्च के दौरान आयुर्वेदिक दवा लिपिडोम से इसका इलाज किया किया गया. यह दवा असरदार साबित हुई. यह दवा शरीर में लिपिड के ब्लॉकेज को कम करती है.जानिए क्या है डिसलिपिडेमिया बीमारी, रिसर्च में कौन सी बातें सामने आईं और दवा लिपिडोम कैसे काम करती है.
क्या है डिसलिपिडेमिया?
आसान भाषा में समझें तो डिसलिपिडेमिया का मतलब है शरीर में लिपिड यानी कोलेस्ट्रॉल अधिक मात्रा में बढ़ जाना. लिपिड्स का असंतुलन बढ़ने पर धमनियों में ब्लॉकेज बढ़ता है. जो सीधेतौर पर दिल और धमनियों की बीमारी का खतरा बढ़ाता है. ऐसे मामले कई वजहों से बढ़ते हैं. जैसे- डाइट में फैट का अधिक होना, जेनेटिक प्रॉब्लम, तम्बाकू लेना. इस स्थिति में शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है. अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन के मुताबिक, डिसलिपिडेमिया के कारण सीधेतौर पर धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. लम्बे समय तक ऐसा रहने पर बीमारी जानलेवा बन जाती है.
रिसर्च की 3 बड़ी बातें
डिसलिपिडेमिया का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए लिपिडोम नाम की दवा पर रिसर्च की गई. पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुई स्टडी के दौरान लिपिडोम का इस्तेमाल किया गया. रिसर्च में सामने आया कि लिपिडोम धमनियों में सूजन और अकड़न को टार्गेट करता है.
साइंस डायरेक्ट में पब्लिश हुई रिसर्च के मुताबिक, लिपिडोम NLRP3 और NFκB की एक्टिविटी को धीमा करती है. यह दवा शरीर में लिपिड को जमा होने की प्रक्रिया को रोकने का काम करती है. इससे धमनियों में ब्लॉकेज घटता है. रिसर्च के मुताबिक, लिपिडोम का इस्तेमाल दवा के तौर पर किया जा सकता है.
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक, जल्द ही यह रिसर्च अमेरिकन जर्नल बायोमेडिसिन एंड फार्मेकोथैरेपी में पब्लिश होने जा रही है. यह आयुर्वेद और भारत के लिए मील का पत्थर है और समाज को बीमारी मुक्त बनाने के लिए अहम कदम है.
पिछले साल दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों का गुच्छा मिला
पिछले साल सितंबर में आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया था कि उत्तरकाशी में गोमुख से आगे ऊंची चोटियों पर एक अभियान के दौरान उन्हें दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों का गुच्छा मिला था. उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के प्रमुख कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की थी. टीम ने तीन चोटियों पर चढ़ाई की – राष्ट्र ऋषि, योग ऋषि और आयुर्वेद ऋषि. TOI से बात करते हुए बालकृष्ण ने कहा, 550 औषधीय जड़ी-बूटियों की एक लिस्ट तैयार की गई थी. जिसे सुरक्षित रखने के लिए काम चल रहा है.
Source : “TV9 Bharatvarsh”
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