क्‍या है बयो-जेल, जिससे हार्टअटैक के बाद रिपेयर किया जा सकेगा दिल

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पिछले कुछ महीनों में देश में डे अटैक से मौत के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। फिल्म अभिनेता सतीश कौशिक का होली के अगले ही दिन दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

ईका केयर ने साल 2022 के दौरान हेल्थ ट्रेंड्स को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में उन्होंने ऐसे 50 लाख लोगों के मेडिकल हेल्थ केयर रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट अटैक और खासकर कम उम्र में होने वाली मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं एक अन्य रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या 1 करोड़ 79 लाख है। इसमें से 35.80 लाख मौतें सिर्फ भारत में होती हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक, पहले हार्ट अटैक के बाद ज्यादातर लोग हार्ट को रिपेयर करने पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। वहीं, हार्ट अटैक के बाद दिल कमजोर हो जाता है। हृदय की मांसपेशियां, परतें और वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस वजह से दूसरा हार्ट अटैक उसके लिए घातक साबित होता है। अब वैज्ञानिकों ने हार्ट अटैक से दिल को हुए नुकसान को आसानी से ठीक करने वाला बायोजेल तैयार किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। आइए जानते हैं कि हार्ट अटैक के बाद यह जेल शरीर में कैसे पहुंचाया जाएगा और यह कैसे काम करेगा?

वैज्ञानिकों के मुताबिक बायो-जेल काफी गाढ़ा होता है। मरीजों पर इस्तेमाल करने से पहले इसमें स्टेराइल पानी मिलाकर इसे पतला किया जाएगा। इसके बाद इसे इंजेक्शन के जरिए हार्ट अटैक पीड़ित के शरीर में पहुंचाया जाएगा। डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, बायो-जेल शरीर में पहुंचने के बाद दिल के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत शुरू कर देगा। दरअसल, हार्ट अटैक के बाद दिल में कुछ दरारें पड़ने के साथ-साथ रक्त वाहिकाओं में भी कुछ नुकसान हो जाता है। बायो-जेल शरीर में पहुंचकर पूरे शरीर में रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्तवाहिनियों और हृदय में आई दरारों की मरम्मत करेगा और उसे उसकी मूल स्थिति में वापस लाएगा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्होंने चूहों और सूअरों पर बायो-जेल का सफल परीक्षण किया है। एक साल के अंदर इसका इंसानों पर परीक्षण करने की तैयारी चल रही है। शोध कर रही वैज्ञानिकों की टीम के मुताबिक बायो-जेल मानव कोशिकाओं की वृद्धि दर को बढ़ाएगा। इससे दिल का दौरा पड़ने के बाद दिल और रक्त वाहिकाओं को हुए घावों को जल्द से जल्द भरा जा सकता है। रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि बायोजेल के चूहों पर किए गए ट्रायल में उनके शरीर के अंदर की सूजन कम हुई. साथ ही सभी डैमेज को ठीक करने में सफलता हासिल की। इतना ही नहीं, जब मस्तिष्क की चोट के मामलों में चूहों पर इसका परीक्षण किया गया, तो पाया गया कि यह मस्तिष्क की गंभीर चोट दर्द और पल्मोनरी धमनी उच्च रक्तचाप की स्थिति में भी काम करेगा।

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