मॉक ड्रिल अलर्ट मिलते ही आपदा से बचाव को मुस्तैद हुआ प्रशासन

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मंडी, 08 जून। मंडी जिला में आपदा से बचाव के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तैयार आपदा प्रबंधन प्लान को धरातल पर परखने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की गई। वीरवार को प्रातः नौ बजे मॉक ड्रिल अलर्ट मिलते ही आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी दल पड्डल मैदान स्टैजिंग एरिया में डट गए। बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव एवं राहत कार्यों को सुनियोजित एवं कारगर ढंग से अंजाम देने के अभ्यास के लिए मंडी जिला में भी 5 स्थानों पर मॉक एक्सरसाइज आयोजित की गई। मॉक एक्सरसाइज के लिए दी गई परिस्थितियों के अनुसार सुबह करीब दस बजे जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के जिला आपातकालीन संचालन केंद्र में 5 स्थानों पंडोह डैम, पंचवक्त्र मंडी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या मंडी, बाड़ी गांव तथा जोनल अस्पताल में बाढ़ और भूस्खलन में लोगों के फंसने की सूचना दी गई।
मेडिकल कालेज अस्पताल के धरातल में पानी भरने, सीनियर सेकेंडरी स्कूल पुरानी मंडी में बच्चों के फंसने, पंचवक्त्र में मंदिरों तक पानी पहुंचने तथा पंडोह डैम जल स्तर बढ़ने तथा बाड़ी में भूस्खलन में कई लोगों के दबे होने की सूचना मिलते ही पूरी जिले में आईआरएस यानि इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम सक्रिय हो गया। मॉक एक्सरसाइज के लिए जिला इंसीडेंट कमांडर एडीएम अश्वनी कुमार के निर्देशानुसार स्टेजिंग एरिया स्थापित करके बचाव दलों को आवश्यक मशीनरी के साथ घटनास्थलों के लिए रवाना कर दिया। इस दौरान एडीएम अश्वनी कुमार ने रेस्क्यू ऑपरेशनों की निगरानी की गई दोपहर तक सभी 5 स्थानों पर बचाव एवं राहत कार्यों को पूर्ण कर लिया गया। एडीएम अश्वनी कुमारी ने कहा कि मॉक ड्रिल के सफल बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों ने आईआरएस सिस्टम के तहत बेहतर तरीके से कार्य किया है।
उधर, उपायुक्त एवं डीडीएमए के अध्यक्ष अरिंदम चौधरी ने कहा कि किसी भी तरह की आपदा को सुनियोजित एवं प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जिला स्तर पर डीडीएमए के माध्यम से आईआरएस कार्य करता है, जिसमें सभी विभागों की भागीदारी निर्धारित की गई है। इस सिस्टम के वास्तविक आकलन और इसमें सुधार के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल्स आयोजित की जाती हैं। इसी कड़ी में वीरवार को प्रदेश भर में मॉक ड्रिल करवाई गई। उन्होंने ड्रिल में भाग लेने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा कि वे इस दौरान किए गए बचाव एवं राहत कार्यों का स्वयं भी आकलन करें तथा भविष्य में इनमें और सुधार की संभावनाओं की दिशा में कार्य करें।

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