कांग्रेस के शासन में पहली बार बिना वेतन हिमाचल के 15,000 कर्मचारी

Read Time:5 Minute, 56 Second

कांग्रेस के शासन में पहली बार बिना वेतन हिमाचल के 15,000 कर्मचारी।हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने के वादे पर सत्ता में आने के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी नक़दी नहीं है।

छह महीने की सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी शर्मिंदगी यही है कि राज्य के लगभग 15,000 कर्मचारियों को मध्य जून 2023 तक का वेतन नहीं मिला है।

इन कर्मचारियों में राज्य सड़क परिवहन निगम (HRTC) सहित राज्य सरकार की संस्थाओं, बोर्डों और निगमों में काम करने वाले 12,000 कर्मचारी शामिल हैं।

वेतन का वितरण प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में किया जाता था।

लेकिन, अब उन्हें मई 2023 के वेतन का इंतज़ार है।

वेतन का इंतज़ार कर रहे अन्य लोगों में वन निगम, श्रम एवं रोज़गार, मेडिकल कॉलेज और जल शक्ति विभाग के आउटसोर्स कर्मचारी हैं।

रिपोर्टों से पता चलता है कि राज्य सरकार के ख़ज़ाने में 1,000 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट चल रहा है और सरकार की 900 करोड़ रुपये के नए ऋण जुटाने की योजना है। सरकार ने पिछले छह महीनों के दौरान पहले ही 6,000 करोड़ रुपये के ऋण जुटा लिए हैं।

हिमाचल प्रदेश पर 75,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है, जबकि राज्य सरकार को कर्मचारियों को संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान करने के लिए 11,000 करोड़ रुपये की देनदारी चुकानी है।

राज्य के पास व्यावहारिक रूप से वेतन, पेंशन और विकास परियोजनाओं के लिए पैसे नहीं हैं।

1 अप्रैल, 2023 से लागू ओपीएस को बहाल करने के कांग्रेस सरकार के फ़ैसले से सरकारी ख़ज़ाने पर 800 से 900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है, जबकि केंद्र ने राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन योजना(एनपीएस) के तहत जमा किए गए 9,242.60 करोड़ रुपये वापस करने से इनकार कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, जिनके पास परिवहन का प्रभार भी है, उन्होंने कहा है, “कुछ अनुदानों को रोककर राज्य में वित्तीय संकट पैदा करने के लिए केंद्र की एक सोची समझी रणनीति है। यहां तक कि वेतन का भुगतान न करने की ख़बरें भी कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के लिए रची गयी हैं।”

एचआरटीसी भारी घाटे में चल रहा है। 65 करोड़ रुपये की आय के मुक़ाबले एचआरटीसी का ख़र्च़ 144 करोड़ रुपये है। हर महीने भारी कमी होती है, जिसे राज्य सरकार पूरा करती है।

उन्होंने कहा है, “वित्त विभाग ने एक दिन पहले ही पैसा जारी किया है। यह हमारे खाते में आ गया है। अब, वेतन का भुगतान किया जाएगा।”

अग्निहोत्री ने भाजपा को याद दिलाया कि उसने तीन साल से एचआरटीसी कर्मचारियों के ओवरटाइम ड्यूटी के बकाये का भुगतान नहीं किया था, जिसे कांग्रेस ने अब जारी कर दिया है।

इस बीच केंद्र ने राज्य सरकार की ऋण सीमा को 14,500 करोड़ रुपये से घटाकर 8,500 करोड़ रुपये कर दिया है। राज्य सरकार को कोई जीएसटी भुगतान नहीं मिल रहा है। बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं में भी कटौती की गयी है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ख़ुद ही यह बात कही है कि राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत ख़राब है और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्रोत जुटाने और कुछ विकल्पों का दोहन करने के प्रयास चल रहे हैं।

उनका कहना है,”हम पनबिजली परियोजनाओं पर जल उपकर लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इससे 3,000 करोड़ रुपये की आय होगी। हमने राज्य में बिकने वाली शराब की प्रत्येक बोतल पर काउ सेस भी लगाया है।”

लेकिन, सचाई यही है कि राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद राजकोषीय मोर्चे पर स्थितियां काफ़ी डांवाडोल हो गयी हैं। पीडब्ल्यूडी के निजी ठेकेदारों पर 6,000 करोड़ रुपये की देनदारी देय है।

चुनावी वादे के मुताबिक़ महिलाओं को 15,00 रुपये प्रति माह देने का फ़ैसला भी राज्य को महंगा पड़ रहा है, जबकि 300 यूनिट मुफ़्त बिजली जैसे कुछ वादे अब भी लागू होने बाक़ी हैं। अगले कुछ ही महीनों में जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं,उसमें इसी तरह के अनुदान कांग्रेस द्वारा दिए जाने की बात हो रही है।

By इंडिया नैरेटिव

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post 17 June 2023: अधिकारी वर्ग का सहयोग मिलेगा, आय में बढ़ोतरी होगी
Next post युवा स्वयंसेवियों और नोडल युवा मंडलों के लिए आवेदन 6 जुलाई तक
error: Content is protected !!