लैंगिक समानता के लिए अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के समन्वित एवं संगठित प्रयास की आवश्यकता

Read Time:2 Minute, 30 Second

हमीरपुर 17 जून। लैंगिक समानता सुव्यवस्थित और स्वस्थ समाज की वह नींव है जिस पर विकास की इमारत खड़ी होती है। लैंगिक समानता सुशिक्षित मानव समाज और सुदृढ़ प्रजातंत्र की जीवन रेखा है। लैंगिक समानता का अर्थ है समाज में लिंगभेद के बिना समान अधिकारों, दायित्वों और अवसरों की व्यवस्था। लैंगिक समानता न केवल एक मौलिक मानव अधिकार है अपितु आर्थिक विकास की आधारशिला भी है। उक्त विचार सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने ग्राम पंचायत बनाल में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आशा कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित क्षमता निर्माण एवं संवेदीकरण कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान व्यवस्था के कारण लैंगिक असमानता, महिलाओं के प्रति सम्मान में कमी तथा उनके मनोभावों को महत्व न देने की प्रवृति हमारे समाज में गहराई से स्थापित हो चुकी है। अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं यथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आशा कार्यकर्ताओं को इस नकारात्मक व्यवस्था को जड़ से समाप्त करने के लिए समन्वित एवं संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवहार परिवर्तन द्वारा स्वयं एवं विपरीत लिंग के प्रति हमारी परंपरागत सोच में परिवर्तन लाने तथा सबके प्रति समानानुभूति स्थापित करने के लिए समाज को सकारात्मक एवं रचनात्मक भूमिका निभानी होगी। अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता इसमें नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकते हैं।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को महिला कल्याण एवं सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न योजनाओं और अधिनियमों की भी विस्तृत जानकारी दी गई।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने एनआईटी में आयोजित की हिंदी कार्यशाला
Next post
error: Content is protected !!