ऊना, 17 जून – आगामी माूनसून के दौरान बेहतर आपदा प्रबंधन और आपदा की स्थिति में विभिन्न विभागों द्वारा बेहतर टीम वर्क सुनिश्चित करने के दृष्टिगत कार्यकारी उपायुक्त महेंद्र पाल गुर्जर ने कहा कि मानसून के मौसम में आपदा की तीव्रता और आवृत्ति विशेष रूप से आकस्मिक बाढ़, भूस्खलन हेतू आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि जून महीने के अंतिम व जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में मानसून के हिमाचल पहुंचने की संभावना है और ऐसे में विभिन्न विभागों को समय रहते सभी तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मानसून के मौसम की शुरुआत से पहले तैयारियों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए सभी उपमंडलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उपमंडल स्तर पर विभिन्न विभागों के साथ बैठक करें और समय रहते सभी तैयारियां पूरी कर लें, सम्बंधित विभागों के अधिकारी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए अनिवार्य मशीनरी का निरीक्षण करें और दुरूस्त करने के अलावा फील्ड में जाकर निरीक्षण करें।
उन्होंने कहा कि बरसात का मौसम शुरू होने से पहले समस्त नगर निगम, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत अधिकारी नालियों/नालों की सफाई करवाना सुनिश्चित करें। ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाए जो जल-भराव, आकस्मिक बाढ़, भूस्खलन से संबंधित आपदाओं के लिए अधिक संवेदनशील हैं, मुख्य रूप से निचले इलाकों में जल-भराव की संभावना है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कहा कि नदियों और उनकी सहायक नदियों/खड्डों के किनारे रहने वाले सभी प्रवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने बताया कि प्री-मानसून की तैयारियों को लेकर जिला स्तरीय समीक्षा बैठक 19 जून को आयोजित होगी। बैठक में सम्बंधित विभागों के अधिकारी अपने विभाग की तैयारियों का ब्यौरा देंगे तथा सर्च और रेस्कयू से संबंधित उपकरणों की लिस्ट भी प्रस्तुत करेंगे।
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