मंडी, 14 सितंबर। मंडी जिला में आपदा की मार से पस्त जिंदगी को पटरी पर लाने में मनरेगा योजना बड़ा संबल बनी है। मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों के अनुरूप जिले में आपदा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्निर्माण-पुनरुत्थान कार्यों को अधिकतर मनरेगा में कराया जा है। सीएम का इस पर विशेष जोर है कि पंचायतों-गांवों में अधिक से अधिक पुनरुद्धार कार्य मनरेगा में किए जाएं, जिससे बड़े पैमाने पर लोग लाभान्वित हों। उन्हें आर्थिक संबल मिले।
जिलाधीश अरिंदम चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुरूप मंडी जिले में मनरेगा कार्यों को अतिरिक्त गति दी गई है। जिले में वर्तमान में 25 हजार 756 कार्य चल रहे हैं। इस वित्त वर्ष में अब तक मनरेगा कार्यों में 110 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। आगे और परियोजनाओं को भी जरूरत के अनुसार अनुमति दी जा रही है।
डीआरडीए के परियोजना अधिकारी सोनू गोयल ने बताया कि जिले में मनरेगा में काम को लेकर विस्तृत योजना बनाई गई है। मनरेगा में पुनरुद्धार कार्यों को लेकर नियमित अंतराल पर समीक्षा के साथ साथ मनरेगा मस्टरोल व सामान खरीद जैसी व्यावहारिक समस्याओं के समाधान की व्यवस्था बनाई गई है।
उन्होंने बताया कि आपदा से जुड़े मनरेगा कार्यों के लिए ग्राम सभा के प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए खंड विकास अधिकारी कार्यालय में सीधे आवेदन किया जा सकता है।
लोगों ने जताया सीएम का आभार
वहीं, मंडी जिलावासियों ने इस संकट की घड़ी में उनकी चिंता करने और उनकी समस्या दूर करने के लिए मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एकस्वर में आभार जताया है। लोगों का कहना है कि मंडी में मनरेगा समेत अन्य विकास परियोजनाओं के पुनरुत्थान कार्यों को गति मिलने से उन्हें संबल मिला है। सीएम के मनरेगा दिहाड़ी बढ़ाने के निर्णय और इसे 224 से 240 रुपये करने से गांव-गरीब को बड़ा लाभ हुआ है। वहीं, जनजातीय क्षेत्रों में मनरेगा दिहाड़ी 280 रुपये से बढाकर 294 रुपये की गई है।
मंडी सदर विकास खण्ड के गांव जनेड़ की स्नेह लता पत्नी कृष्ण कुमार ने बताया कि भारी बरसात से हुए भूधंसाव से उनकी गऊशाला ढह गई थी और वे बड़ी चिंता में थे। प्रदेश सरकार ने मनरेगा में इसके पुनर्निर्माण की व्यवस्था कर दी, इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आभारी हैं। वहीं ग्राम पंचायत जनेड़ की प्रधान भावना देवी कहती हैं कि आपदा में पुनर्निर्माण के काम, गांव की सड़क, घर के डंगे इत्यादि मनरेगा में कराने के सरकार के फैसले से प्रभावित परिवारों को बड़ी राहत मिली है। इससे लोगोें को घर-द्वार पर रोजगार भी मिल रहा है।
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