मुर्गी पालन व्यवसाय से जनकौर निवासी सुशील कुमार कमा रहे हैं प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए

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ऊना – हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन विभाग के माध्यम से हिमकुकट योजना के तहत संचालित मुर्गी पालन योजना जिला के बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के रूप में वरदान साबित हो रही है। वर्ष 2019 से पशुपालन विभाग के माध्यम से संचालित की जा रही इस योजना को अब तक ऊना जिला के 57 लोगों ने अपनाया है जो कि प्रतिमाह 20 से 25 हजार रूपए कमा रहे हैं।

इन्हीं लाभार्थियों में से एक है ऊना उपमंडल के गांव जनकौर निवासी सुशील कुमार। सुशील कुमार बताते हैं कि वर्ष 2022 में उन्हें मुर्गी पालन व्यवसाय के बारे में पता चला तत्पश्चात उन्होंने पशुपालन विभाग से योजना के संबंध में संपूर्ण जानकारी व मार्गदर्शन लिया। इसके पश्चात सुशील कुमार ने मुर्गी पालन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने का निर्णय लिया। सुशील कुमार ने बताया कि पशुपालन की सहायता से मुर्गी पालन के व्यवसाय को अपनाया। सुशील कुमार ने बताया कि मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए पशु पालन विभाग की ओर से शेड निर्माण हेतू उन्हें 1.45 लाख रूपए की अनुदान राशि प्रदान की गई। शैड निर्माण पूरा करने के पश्चात् विभाग द्वारा 60 प्रतिशत अनुदान पर 1 हज़ार चिक्स (चूजे) तथा 60 बैग फीड के अलावा मुर्गी पालन में इस्तेमाल होने वाले बर्तन इत्यादि उपलब्ध करवाए गए। उन्होंने बताया कि दो महीने के उपरांत तैयार किए गए चिक्स को मार्किट में 1.80 लाख रूपये में बेचा जिसमें से उन्हें लगभग एक लाख रूपये का मुनाफा हुआ। उन्होंने बताया कि अब दूसरी बार उन्हें पशुपालन द्वारा 1000 चूजे फीड सहित 60 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए गए हैं। इसी प्रकार पशुपालन विभाग द्वारा एक बार और 1000 चूजे फीड सहित 60 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस प्रकार प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन विभाग के माध्यम से संचालित इस योजना से जनकौर निवासी सुशील कुमार अपना बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं तथा अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं।

इस स्वरोजगार योजना के संबंध में सुशील कुमार ने अपने सकारात्मक अनुभव सांझा करते हुए बताया कि बेरोजगार युवा पीढ़ी इस योजना की सहायता से अपना स्वरोजगार स्थापित कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। सुशील कुमार ने बताया कि इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले वह गग्रेट में ल्यूमिनस कम्पनी में नौकरी करता था। जहां पर मिलने वाले वेतन का अधिकतर खर्चा वहां रहने व घर आने जाने में ही खर्च हो जाता था जिस वजह से उसे परिवार का खर्चा करना बेहद मुश्किल हो रहा था परंतु जब से उन्होंने मुर्गी पालन व्यवसाय को अपनाया है तब से उन्हें इस व्यवसाय से हो रही अच्छी आमदनी के कारण अपने परिवार का गुज़ारा करने में आसानी हो रही है।

हिमकुक्ट योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ राकेश भट्टी ने बताया कि मुर्गी पालन व्यवसाय से जुडे़ सुशील कुमार को चिक्स व योजना से जुड़ी अन्य सुविधाएं हिमकुकट योजना के तहत दी गई हैं। उन्होंने बताया कि यह योजना वर्ष 2019 से आरंभ की गई थी। इस योजना के तहत पिछले चार सालों में जिला ऊना में कुल 57 मामले स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने बताया कि स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने व मुर्गी फर्मिंग का कार्य करने के इच्छुक लोगों के लिए यह योजना चलाई जा रही है जिसका कुल बजट साढे़ छः लाख रूपये है जिसमें 60 प्रतिशत शेयर (लगभग 4 लाख रुपए) सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है जबकि स्कीम का लाभ लेने वाले व्यक्ति को 40 प्रतिशत खर्च (लगभग अढाई लाख रुपए) स्वयं बहन करना पड़ता है।

डॉ राकेश भट्टी ने बताया कि योजना के तहत सबसे पहले लाभार्थी को मुर्गी फार्मिंग के लिए योजना के 60 प्रतिशत यानि 1.45 लाख रूपये की आर्थिक सहायता शैड निर्माण के लिए प्रदान की जाती है। शेड निर्मित होने के उपरांत विभाग की ओर से अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता है। इसके उपरांत पोल्ट्री फार्मर को मुर्गी पालन व्यवसाय के संबंध में प्रशिक्षित किया जाता है। सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद पोल्ट्री फार्मर को एक हजार जीरो-डे चिक्स, फीड तथा छोटे व बड़े चूजों के खाने-पीने के बर्तन इत्यादि 60 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते हैं तथा उनके रख-रखाव बारे जानकारी मुहैया करवाई जाती है। इसके पश्चात प्रत्येक 2 से 3 महीने के अंतराल में अतिरिक्त दो बार 1000 चूजे फीड सहित 60 प्रतिशत अनुदान पर फार्मर को दिए जाते हैं।

वरिष्ठ पशु चिकित्सा डॉ राकेश कुमार भट्टी ने बताया कि सुशील कुमार ने पहले चिक्स के लॉट में लगभग 800 चूजें तैयार करके लगभग 18 क्विंटल तक चूजों को मार्किट में बेचा जिससे उन्हें लगभग दो लाख रूपये की इन्कम अर्जित हुई। इस दौरान सुशील कुमार को प्रति चूजों के लॉट के हिसाब से लगभग एक लाख रूपये का मुनाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि सुशील कुमार को योजना के अंतर्गत कुल तीन बार चिक्स के लॉट उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि चूजों के तीन लॉट प्रदान करने तथा शेड निर्माण करने के लिए उपलब्ध करवाई गई राशि को मिलाकर लगभग 4 लाख से ज्यादा का मुनाफा मुर्गी फार्मर को हो रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के उपरांत भी पोल्ट्री फार्मर को नियमित रूप से संचालित करने को कहा जाता है ताकि स्वरोजगार के साधन बढ़ सके। उन्होंने कहा कि विदेशों में जाकर नौकरी करने वाले युवा भी इस व्यवसाया से जुड सकते हैं तथा वे अपने घर में ही प्रतिमाह 25-30 हजार रूपये की आय अर्जित कर सकते हैं।

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