मंडी
हिमाचल प्रदेश सरकार ने युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों स्वावलंबी योजनाएं चलाई हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार आर्थिक मदद देने के साथ-साथ जरूरी प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है। प्रदेश के कई युवा इन योजनाओं से लाभान्वित होकर अच्छी कमाई कर रहे हैं और परिवार का बेहतर पालन पोषण कर रहे हैं।
जिला मंडी के पधर उपमण्डल की ग्राम पंचायत डलाह के गांव चमाह के रहने वाले रमेश चंद भी इन्हीं में से एक हैं। वह मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का लाभ लेकर हर साल 3 से 4 लाख रुपये कमा रहे हैं। रमेश चंद का परिवार पुश्तैनी तौर पर मधुमक्खी पालन से जुड़ा था। उनका परिवार घर पर ही कम मात्रा में मधुमक्खियां पालता था। जब रमेश ने मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के बारे में सुना तो मौन पालन को ही व्यवसाय के तौर पर अपनाने की सोची। इसके लिए उन्होंने पहले कृषि विज्ञान केन्द्र सुंदरनगर में मौन पालन का प्रशिक्षण लिया। फिर इसके उपरांत बी-ब्रीडर बनने के लिए नौणी बागवानी विवि सोलन में एडवांस स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण लेने के उपरांत बागवानी विभाग से मौन पालन के लिए आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया। योजना के अर्न्तगत रमेश चंद को वर्ष 2019 में मौन वंश, बक्सों और अन्य साजो सामान खरीदने के लिए 1.76 लाख की आर्थिक सहायता मिली।
रमेश चंद का कहना है कि उन्होंने एपी सिनिडा व ऐविस मधुमक्खी पाल रखी है। इनसे वह वर्ष दो बार शहद लेते हैं। जिसमें एक बार में ही लगभग दो क्विंटल तक शहद निकल आता है। वे एपी सिनिडा मधुमक्खी, जिसे लोकल मधुमक्खी भी कहते है, का शहद 700 रुपए प्रति किलोग्राम तथा ऐविस मधुमक्खी (इटालियन मधुमक्खी) का शहद 450 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं। इसके साथ ही वह मधुमक्खी पालन में प्रयोग होने वाले बॉक्स को भी 6 हजार प्रति बॉक्स की दर से बेचते हैं। शहद और मधुमक्खी के बॉक्स को बेचकर वह एक साल में लगभग 3 से 4 लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं। इसके अलावा बागवान अपने बगीचों अच्छी पैदावार में सहायक फूलों के परागण के लिए मधुमक्खियों के बक्से ले जाते हैं।
बागवानी उपनिदेशक मंडी डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि मौन पालन का उद्देश्य किसानों को राज्य में मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन और मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन में शहद के अलावा भी कई अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। इन उत्पादों की भी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अर्न्तगत मौन पालन के लिए मौन वंश के 50 बक्सों सहित 1.60 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही मधुमक्खियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। विभाग द्वारा मौन पालन में काम आने वाले उपकरणों की खरीद पर भी 80 प्रतिशत सबसिडी या 16,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना प्रदेश सरकार की स्वाबलम्बी योजना है। जिला में 60 से अधिक बागवान मौन पालन से जुड़ कर प्रतिवर्ष अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वह इस योजना से जुडें और घर पर रह कर अपना स्वरोजगार शुरू करें। इसके लिए सभी किसान व बागवान पात्र हैं। इसके लिए बागवानी विभाग निशुल्क प्रशिक्षण करवाता है।
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