सलूणी के किसानों ने योजना का लाभ लेकर खेतों में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर बढ़ाई आमदनी
बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी सलूणी उपमंडल के किसानों के लिए कृषि विभाग की सिंचाई योजनाएं वरदान साबित हुई हैं। इन सिंचाई योजनाओं का लाभ उठाकर उपमंडल के किसान करोड़ों की फसल मंडियों में भेज रहे हैं। बेमौसमी सब्जियों के कारोबार से जुड़ने के बाद किसान आर्थिक तौर पर स्वालंबी बनकर उभरे हैं। उल्लेखनीय है कि जिला चंबा का भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 692 हजार हैक्टेयर है। इसमें केवल 41.80 हजार हैक्टेयर भूमि पर ही खेती की जाती है। मक्की, धान व गेंहू यहां की प्रमुख अनाज की फसलें हैं। इसके अतिरिक्त लगभग 2200 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पादन किया जाता है। जिला के विकास खंड सलूणी, तीसा व पांगी में अधिकतर बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन होता है। मटर, टमाटर और फ्रासबीन बेमौसमी व मुख्य नकदी फसलें हैं। बेमौसमी सब्जियों में जिला चंबा से लगभग 32 हजार किवंटल मटी, 75 सौ क्विंटल फ्रांसबीन, 44 सौ क्विंटल टमाटर, 34 सौ क्विंटल फूल गोभी व बंद गोभी का विपणन प्रदेश के दूसरे जिलों व पड़ोसी राज्यों को किया जाता है। मगर सलूणी व तीसा विकास खंड में केवल 3-5 फीसदी कृषि योग्य भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के कारण यहां रबी मौसम में सब्जियों की खेती में अनिश्चितता होने से पैदावार कम होने से किसान खेतीबाड़ी में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। किसानों की इन समस्याओं के मद्देनजर कृषि विभाग ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शत प्रतिशत अनुदान पर दूर दराज नालों से पानी को किसानों के खेतों तक पहुंचाया।
कृषि विभाग चंबा के उपनिदेशक डा. कुलदीप धीमान बताते हैं कि क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया। इसका किसानों को भरपूर लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि फव्वारा सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के बाद पानी की बचत होती है। इसलिए कम पानी से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकती है। दूसरा सिंचाई करने में समय की बचत होती है और सही मात्रा में पौधों को पानी मिलने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
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