एससी-एसटी से अत्याचार के मामलों की जांच एवं अभियोजन में न हो देरी
हमीरपुर 19 अप्रैल। अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की त्रैमासिक बैठक शुक्रवार को उपायुक्त अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस अवसर पर जिला में उक्त अधिनियम के तहत दर्ज 83 मामलों की ताजा स्थिति और इनसे संबंधित मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई।
उपायुक्त ने बताया कि अभी इन 83 मामलों में से 34 मामले विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन हैं। जबकि, 28 मामलों की अभी पुलिस जांच चल रही है। 14 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स न्यायालयों में विचाराधीन हैं और 7 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की गई हैं। उन्होंने पुलिस और अभियोजन विभाग के अधिकारियों से इन सभी मामलों की ताजा स्थिति की जानकारी ली और कहा कि इन मामलों की जांच एवं अभियोजन प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए तथा सभी लंबित मामलों का नियमित रूप से फॉलोअप किया जाना चाहिए। अमरजीत सिंह ने कहा कि अगर किसी मामले की कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की गई है तो इसकी सूचना पीड़ित व्यक्ति को अवश्य दी जानी चाहिए। उन्हांेने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में कड़े प्रावधान किए गए हैं। इसलिए, इन मामलों में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
इस अवसर पर समिति के गैर सरकारी सदस्यों ने भी विभिन्न मामलों पर अपनी राय रखी। जबकि, समिति की सदस्य सचिव एवं जिला कल्याण अधिकारी गीता मरवाहा ने विभिन्न मामलों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।
बैठक में एसपी पदम चंद, जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री, एएसपी राजेश कुमार, बड़सर के एसडीपीओ सचिन हीरेमथ, डीएसपी सुनील दत्त ठाकुर, जिला राजस्व अधिकारी जसपाल सिंह, जिला स्तरीय समिति के अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे।
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