चुराह में तैनात स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स को जम्मू कश्मीर की तर्ज़ पर बेतनमान देने की मांग

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काँगड़ा के लोकसभा सदस्य डॉक्टर राजीव भारद्वाज ने संसद में शून्य काल में बोलते हुए जम्मू कश्मीर से सटे   चम्बा जिला के सीमावर्ती क्षेत्र  चुराह में तैनात  स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स   (एस पी ओ ) को जम्मू कश्मीर  में तैनात   (एस पी ओ )    की तर्ज़ पर  बेतनमान देने की मांग     की है /उन्होंने कहा की बर्ष 1998 में इस क्षेत्र में हुए आतंकबादी हमले में 35 स्थानीय लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया था तथा अनेक लोगों को आतंकबादी अपने साथ ले गए थे जिनका आज तक पता नहीं लग पाया है / उन्होंने कहा की इस आतंकबादी घटना के बाद  सरकार ने जम्मू कश्मीर की तर्ज़ पर स्थानीय पुलिस की मदद के लिए 520  स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स  (एस पी ओ )   को तैनात किया था जिन्हे  जम्मू कश्मीर  (एस पी ओ )  की तर्ज़ पर प्रति माह 1500 बेतनमान तय किया गया था / उन्होंने बताया की यह   स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स संवेदनशील क्षेत्रों में गस्त , मेला ड्यूटी ,नाकाबन्दी ड्यूटी और बी बी आई पी  ड्यूटी सहित कानून ब्यबस्था बनाये रखने में पुलिस का कन्धे से कन्धा मिलाकर सहयोग कर रहे हैं जिससे   इस संवेदनशील क्षेत्र में शांति ,अमन ब्यबस्था बनाये रखने में मदद मिली है /लोकसभा सदस्य डॉक्टर राजीव भारद्वाज ने  कहा की बर्ष 2006 -07 में  हिमाचल प्रदेश और  जम्मू कश्मीर में   तैनात   इन  स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स (एस पी ओ )  का बेतन बढ़ा कर 3000 कर दिया गया जबकि अब  हिमाचल में तैनात  इन  स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स (एस पी ओ )   को मात्र छह हज़ार रूपये प्रति माह बेतन  दिया जा रहा है जबकि समान सेवाएं दे रहे  जम्मू कश्मीर में कार्यरत   स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स  को 18000 से 20000 रूपये मासिक बेतन प्रदान किया जा  रहा है /उन्होंने कहा की अपने जीवन के 26 बहुमूल्य बर्ष देश सेवा को समर्पित कर  चुके  इन  हिमाचली   स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स  को  जम्मू कश्मीर में कार्यरत उनके समकक्ष स्पैशल पुलिस ऑफिसर्स  के बराबर बेतनमान प्रदान किया जाये ताकि बह सम्मानजनक जीवन जी सकें 
काँगड़ा के लोकसभा सदस्य डॉक्टर राजीव भारद्वाज ने संसद में नियम 377 के अधीन  में बोलते हुए बताया की काँगड़ा जिला के 90 और चम्बा जिला के 146 गांब  अभी भी प्रधान मन्त्री ग्रामीण सड़क योजना के लाभ से बंचित हैं और उन्होंने इन गांबों को  सड़क सुविधा से जोड़ने की पुरजोर मांग की / उन्होंने बताया की अधिकांश गांबों को सड़क से जोड़ने के लिए जिस भूमि का चयन किया गया है बह बंजर भूमि है और इस बंजर भूमि में सड़क निर्माण के लिए पर्यावरण एवं बन मन्त्रालय की मंजूरी की जरूरत है जिसमे अनेक बाधाएं आ रही हैं / उन्होंने बताया की कुछ मामलों में निजी भूमि को चिन्हित किया गया है लेकिन इसमें निज़ी ब्यक्ति भूमि उपहार में देने से आनाकानी करते हैं जिसे मामला जटिल हो जाता है / उन्होंने इन गांबों में सड़क निर्माण के लिए बंजर भूमि के उपयोग  की  केन्द्र सरकार को मंजूरी प्रदान करने और  निजी जमीन का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया ताकि पिछड़े और दुर्गम क्षेत्रों में बसे इन गांबों को सड़क सुविधा  प्रदान की जा सके 

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