Asia Pacific Region: चीन पिछड़ा, अब वियतनाम बनेगा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास का इंजन।

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Asia Pacific Region: चीन पिछड़ा, अब वियतनाम बनेगा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास का इंजन।जिन देशों की वृद्धि दर गिरेगी, उनमें चीन भी है, जिसे अब तक एशिया में आर्थिक विकास का इंजन कहा जाता रहा है।

आईएमएफ ने आर्थिक भविष्यवाणी संबंधी अपनी ताजा रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। उसमें चीन की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भारी कटौती की गई है। आईएमएफ ने इस साल अप्रैल में जारी अपनी रिपोर्ट में चीन की वृद्धि दर पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन अब इसे घटा कर 2.8 फीसदी कर दिया गया है। पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की विकास दर को घटा कर अब आईएमएफ ने 3.2 फीसदी कर दिया है, जबकि अप्रैल में ये दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

लेकिन जिन देशों के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को पहले से बढ़ाया गया है, उनमें सबसे आगे वियतनाम है। अप्रैल में आईएमएफ ने वियतनाम की आर्थिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। अब उसने ये दर 7.2 फीसदी रहने की भविष्यवाणी की है। इसके अलावा मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड के बारे में भी बेहतर भविष्यवाणी की गई है।

आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के ज्यादातर देशों के बारे में अनुमान शामिल हैं। लेकिन जापान, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इस क्षेत्र के लिए आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री आदित्य मट्टू ने कहा है कि चीन में जारी जीरो कोविड नीति के कारण वहां की आर्थिक संभावना बिगड़ी है। इस नीति के कारण वहां अभी भी अकसर जहां-तहां लॉकडाउन लग रहे हैं। जबकि जिन देशों में संभावना बेहतर हुई है, वहां इसका प्रमुख कारण कोविड संबंधी पाबंदियां हट जाना है।

विशेषज्ञों के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र में सरकारों की मूल्य नियंत्रण की नीति कारगर रही है। इस वजह से यहां औसत मुद्रास्फीति दर चार फीसदी है, जो दुनिया के दूसरे इलाकों से काफी कम है। आईएमएफ ने कहा है कि पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के अलावा एशिया-प्रशांत जितना मूल्य नियंत्रण दुनिया के किसी और क्षेत्र में नहीं है। इस वजह से इस क्षेत्र में चावल और दूसरे अनाज अपेक्षाकृत सस्ती दरों पर उपभोक्ताओं को हासिल हो रहे हैँ। लेकिन आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि मूल्य नियंत्रण की इस नीति से लंबी अवधि में इस इलाके में मूल्य संबंधी असंतुलन पैदा हो सकता है।

इसके पहले विश्व बैंक भी सार्वजनिक कल्याण पर अधिक खर्च के खिलाफ चेतावनी दे चुका है। उसने कहा है कि इन देशों को सब्सिडी देने के बजाय कमजोर तबकों को प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण की नीति अपऩानी चाहिए।

वियतनाम के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि वहां की सोशलिस्ट सरकार जन कल्याण पर बाकी देशों से अधिक खर्च करती है। इसके जरिए वह अधिक कार्य कुशल श्रमिक वर्ग तैयार करने में सफल रही है। इसका लाभ अब उसे मिल रहा है। जिस समय पश्चिमी देश इलेक्ट्रॉनिक जैसे कारोबार में चीन से सहयोग घटा रहे हैं, वह निवेश और आयात का एक पसंदीदा स्रोत बन कर उभरा है। इस क्षेत्र के आर्थिक विकास का इंजन बनाने में इस पहलू का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

Harendra Chaudhary http://dhunt.in/CiYuP?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “अमर उजाला”

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