जानिए कैसे ओल्ड पेंशन स्कीम हिमाचल प्रदेश के युवाओं को पहुंचाएगी बड़ा नुकसान।ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का मुद्दा लगातार बना हुआ है। हिमाचल प्रदेश में इसी पेंशन को फिर से लागू करने के वादे से कांग्रेस पार्टी चुनावी मैदान में उतरी थी और उसे इसका लाभ भी हुआ है।
ऐसे में अगर ओल्ड पेंशन स्कीम की बात करें तो क्या यह सच में फायदेमंद है इसे समझने की जरूरत है। कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान में दावा किया था कि ओल्ड पेंशन स्कीम युवाओं के अच्छे दिन लाएगी, लेकिन क्या सच में ओल्ड पेंशन स्कीम अच्छे दिन लाएगी, इस पर आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि नौजवानों के साथ यह अन्याय है। यहां तक कि खुद देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसे बहुत खराब बता चुके हैं।
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मनमोहन सिंह कर चुके हैं आलोचना
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर आती है तो यह युवाओं के साथ अन्याय होगा और इससे बहुत नुकसान होगा। यही नहीं एक्सपर्ट का कहना है कि इससे ईमानदार टैक्स पेयर्स को झटका लगेगा। मनमोहन सिंह ने तो सरकारी खजाने के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को बहुत खराब बताया था। लेकिन अब कांग्रेस उसी स्कीम को हिमाचल प्रदेश में फिर से लागू करने जा रही है। प्रियंका गांधी ने चुनावी भाषण में कहा था कि पुरानी पेंशन को पहली मंत्रिमंडल की बैठक में पास किया जाएगा। कांग्रेस इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओपीएस को लागूकरने का ऐलान कर चुकी है। यही नहीं आप सरकार ने भी पंजाब में इसे लागू करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस का ओपीएस लागू करने का ऐलान
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया का कहना है कि अगर इस स्कीम को फिर से लागू किया जाता है तो यह सरकार की ओर से सबसे बड़ी रेवड़ी होगी। इससे राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। लेकिन इस आंकलन को खारिज करते हुए राहुल गांधी ने 12 नवंबर को ट्वीट करके कहा था कि हिमाचल ओपीएस के लिए वोट करेगा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर सरकार इतने बड़े व्यय को ओपीएस में करेगी तो प्रदेश के विकास को कैसे आगे बढ़ाएगी।
क्यों भारी पड़ेगी ओपीएस
हिमाचल प्रदेश में 2004-05 में पेंशन के तौर पर 591 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि 2021-22 में यह बढ़कर 7082 करोड़ रुपए हो गया। यानि पेंशन में 11.98 फीसदी का अतिरिक्त व्यय हो गया। सरकार को टैक्स से मिलने वाली आय की बात करें तो 2004-05 1252 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जबकि 2021-22 में 9282 करोड़ रुपए। ऐसे में टैक्स से मिलने वाली आय में कुल इजाफा 7.41 फीसदी हुआ। लिहाजा टैक्स से मिलने वाली आय में जहां 7.41 फीसदी का इजाफा हो रहा है तो पेंशन में 11.98 फीसदी का इजाफा हो रहा है। लिहाजा हिमाचल सरकार टैक्स से कुल 9282 करोड़ रुपए कमाती है और पेंशन बिल उसे 7082 करोड़ का देना पड़ता है। यानि अगर कुल 100 रुपए हिमाचल सरकार के खाते में आए तो 76.29 रुपए पेंशन में चले गए जबकि 24 रुपए ही विकास कार्यों के लिए बचा।
Source : “OneIndia”
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